नई दिल्ली। बैंक चेक बाउंस यानी धनादेश का अनादरण मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी चेक के बदले कोई एक किस्त भी अदा कर दी गई है तो धारा 138 के तहत प्रकरण नहीं बनता। ऐसे प्रकरण को खारिज कर देना चाहिए।
बकाया वसूली के लिए धारा 138 के तहत प्रकरण नहीं चल सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन एक मामले में पक्षकार ने व्यापार के सिलसिले में चेक जारी किया था, लेकिन जारी करने के साथ ही कुछ रुपयों का भुगतान कर दिया था। जिस व्यक्ति को चेक जारी किया, उसने कोर्ट में पूरी राशि की वसूली के लिए चेक बाउंस का प्रकरण दायर कर दिया। ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने चेक जारी करने वाले व्यक्ति के खिलाफ आदेश जारी किए थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जितनी राशि का चेक जारी हुआ है, उसमें कुछ भुगतान हो चुका है तो पूरी राशि दिलाने के लिए धारा 138 के तहत प्रकरण कैसे चल सकता है? इस तरह प्रकरण लगाने को वैधानिक नहीं माना जा सकता।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में 72 हजार से ज्यादा चेक बाउंस के मामले अदालतों में लंबित हैं। इंदौर में ही ये आंकड़ा 12 हजार के आसपास है। न्याय मित्र सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सहित सभी राज्यों से चेक बाउंस के पेंडिंग मामलों के बारे में जानकारी मांगी थी। इसके बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने यह फैसला जारी किया है।