नई दिल्ली। सरकारी नौकरी के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते। गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के एक असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं अपनी बहन को इसी यूनिवर्सिटी में नौकरी दिलवाने के लिए कुछ ऐसा किया जो गैरकानूनी तो था ही परंतु शायद इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ।
असिस्टेंट प्रोफेसर भारत से UK-यूनाइटेड किंगडम गया। वहां से दिनांक 30 सितंबर को गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति महेश वर्मा के ऑफिस के लैंडलाइन नंबर पर फोन किया। खुद को दिल्ली का उपराज्यपाल वीके सक्सेना बताया और निर्देशित किया कि वह धरती के नियमों को शिथिल करते हुए एक महिला उम्मीदवार को नियुक्त करें। सरल शब्दों में कहें तो दिल्ली के उपराज्यपाल ने नियम विरुद्ध जाकर एक महिला उम्मीदवार को नौकरी देने की सिफारिश की थी।
कुलपति महेश शर्मा ने क्रॉस वेरिफिकेशन के लिए उपराज्यपाल के सचिवालय से संपर्क किया। वहां से पता चला कि उपराज्यपाल ने उन्हें कोई फोन नहीं किया है। एलजी के सेक्रेटेरिएट ने इसकी जानकारी दिल्ली पुलिस को दे दी। पुलिस ने जब कुलपति के ऑफिस के सिक्स लाइन नंबर की कॉल डिटेल रिपोर्ट निकाल भाई तो पता चला कि फोन यूनाइटेड किंगडम से आया था।
कैसे पकड़ा गया असिस्टेंट प्रोफेसर
दिनांक 2 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज कर इन्वेस्टिगेशन शुरू की थी परंतु जैसे ही पता चला कि यूनाइटेड किंगडम से आया था, पुलिस परेशानी में पड़ गई। मामला इंटरनेशनल हो गया था। इन्वेस्टिगेशन के लिए एक लंबे प्रोसीजर को पूरा करना था, उसके बाद भी विश्वास के साथ नहीं खाया जा सकता था कि आरोपी को पहचान लिया जाएगा, लेकिन कहते हैं ना कि दिल्ली पुलिस की इन्वेस्टिगेशन कभी फेल नहीं होती।
दिल्ली पुलिस ने UK के उस नंबर की CDR प्राप्त कर ली जिससे कुलपति को फोन किया गया था। इन्वेस्टिगेशन में पता चला कि भारत में एक वृद्ध व्यक्ति और एक महिला को कॉल किया गया था। अगले ही पल पता चल गया कि वृद्ध व्यक्ति असिस्टेंट ऑफिसर का पिता और महिला उसकी बहन है। आरोपी असिस्टेंट प्रोफेसर फिलहाल ब्रिटेन में है। दिल्ली पुलिस उसके भारत और स्नेह का इंतजार कर रही है।