नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केरल के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति कर्मचारी के आश्रित अथवा उत्तराधिकारी का अधिकार नहीं है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने केरल हाई कोर्ट डिवीजन बेंच के फैसले को रद्द कर दिया।
यह मामला फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स त्रावणकोर लिमिटेड के एक कर्मचारी से जुड़ा हुआ है जिनकी मृत्यु सन 1995 में हो गई थी। जब उनकी मृत्यु हुई तब उनकी पत्नी नौकरी कर रही थी इसलिए उन्हें अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती थी। कर्मचारी की मृत्यु के 14 साल बाद उनकी पुत्री ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। जिसे कंपनी द्वारा अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद मामला न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
केरल हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले में फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स त्रावणकोर लिमिटेड और अन्य को अनुकंपा के आधार पर कर्मचारी की बेटी की नियुक्ति के मामले पर विचार करने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले में कंपनी पूरी तरह से स्वतंत्र है और कर्मचारी की मृत्यु के 14 साल बाद आवेदन करने वाली महिला को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति का अधिकार नहीं है।