EOW यानी आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, इन दिनों मध्यप्रदेश में काफी सुर्खियों में है। हर रोज किसी ना किसी जिले में छापामार कार्रवाई होती है और रिश्वत लेते हुए किसी शासकीय अधिकारी अथवा कर्मचारी को गिरफ्तार किया जाता है। इससे पहले तक रिश्वतखोर कर्मचारियों में केवल लोकायुक्त पुलिस की दहशत थी परंतु अब EOW का डर भी दिखाई देता है। आइए EOW के बारे में अपनी जनरल नॉलेज बढ़ाते हैं:-
मध्य प्रदेश राज्य का गठन दिनांक 1 नवंबर 1956 को हुआ और सन 1976 में CID (मध्य प्रदेश पुलिस) के अंतर्गत एक नई ब्रांच विशेष जांच सेल अपराध जांच विभाग (SBIEO) का गठन किया गया। इसे राज्य अपराध अन्वेषण ब्यूरो नाम दिया गया। सन 1989 में इसका नाम बदलकर राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो रख दिया गया। और इसका कंट्रोल गृह विभाग मंत्रालय ने अपने हाथ में ले लिया।
इसके ठीक 1 साल बाद सन 1990 में मध्य प्रदेश की सरकार ने आर्थिक अपराध ब्यूरो का कंट्रोल गृह विभाग मंत्रालय से छीन कर सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय को दे दिया, क्योंकि आर्थिक अपराध ब्यूरो, भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर रहा था और इसमें ज्यादातर आरोपी प्रशासनिक अधिकारी थे जो सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत आते हैं। तब से यह सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत काम कर रहा है लेकिन 22 जून 2013 को एक बार फिर इसका नाम बदला गया। राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो से आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ कर दिया गया।