भारतीय संविधान द्वारा अनुच्छेद 19 से 22 तक भारतीय नागरिकों के स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा की गई है। अनुच्छेद 19 भारतीय नागरिकों को छः प्रकार की महत्वपूर्ण स्वतंत्रता देता है। जिसमे सर्वप्रथम बोलने की स्वतंत्रता भारतीय नागरिकों को दी गई हैं क्योंकि व्यक्ति मौन रहकर सरकार के सामने अपनी समस्याओं को नहीं रख सकता है। इसलिए उसे सरकार के समक्ष बोलने, सरकार की नीतियों और योजनाओं की समीक्षा करने, सलाह देने और सरकारी सिस्टम में गड़बड़ी के बारे में बताने की आजादी दी गई है। यहां इस बात को याद करना होगा कि संविधान की स्थापना से पहले राजा या सरकार के सामने उसकी आलोचना करना, देशद्रोह माना जाता था और कई बार मृत्युदंड का कारण बनता था।
भारतीय संविधान अधिनियम, 1950 के अनुच्छेद 19(1)(क) की परिभाषा:-
वाक़् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रजात्रात्मक एवं लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की आधारशिला हैं क्योंकि मूक रहना दासता (गुलामी) की निशानी है। जबकि मुँह खोलना स्वतंत्रता का सूचक है अपने अधिकारों एवं हितों की रक्षा के लिए संघर्ष करना एवं राज्य के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करना यही तार्किक और आलोचनात्मक शक्ति भारतीय नागरिकों को मिली है जिसे हम वाक़् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहते हैं।
वाक़् अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत सरकार के कार्यकलापों को जानने का अधिकार, सूचना का अधिकार, किसी भी माध्यम से प्रचार प्रसार करने का अधिकार, प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार, सरकार की भ्रष्टाचार नीति को लोगों को किसी भी माध्यम से (सोशल नेटवर्किंग, मीडिया, प्रेस, प्रदर्शनी द्वारा, लेखों द्वारा आदि) बताने का अधिकार, लोकहित में सरकार के खिलाफ बोलने का अधिकार, शांतिपूर्ण ढंग से धरना या प्रदर्शन करने का अधिकार, मत देने का अधिकार आदि आते हैं।
विशेष नोट: वाक़् और अभिव्यक्ति (बोलने एवं टिप्पणी) के स्वतंत्रता के अधिकार पर मात्र 19(2) के आधार पर है रोक लगाई जा सकती है जिसकी जानकारी हमने पुर्व के लेख के विस्तार पूर्वक दे दी है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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