कहते हैं कि विभिन्न संस्कृतियों को जानने एवं सभ्यताओं को समझने का एक प्रमुख स्त्रोत होता है, भ्रमण करना। कोलम्बस एवं वास्कोडिगामा ने तो इस लक्ष्य की प्राप्ति में सम्पूर्ण विश्व को अपने कदमों से नाप दिया था। इसी प्रकार बहुत से भ्रमणकर्ता द्वारा देश-विदेश का भ्रमण कर अध्यात्म की ऊंचाइयों एवं गहराइयों को छू लिया था। इसीलिए ऐसे महत्वपूर्ण विषय को संविधान में स्थान देना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। भारतीय संविधान में भी भ्रमण का अधिकार एक मौलिक अधिकार हैं जानिए।
भारतीय संविधान अधिनियम, 1950 के अनुच्छेद 19(1)(घ) की परिभाषा
भारत के नागरिकों को भारत के सम्पूर्ण राज्यों में स्वतंत्रता पूर्वक भ्रमण करने (आने-जाने) का अधिकार प्राप्त है। इसका उद्देश्य प्रान्तीयतावाद जैसी संकुचित भावना को समाप्त करके प्रत्येक नागरिक में राष्ट्रभक्ति की सृष्टि का संचार करना है।
भ्रमण के मौलिक अधिकार पर सरकार कब प्रतिबंधित लगा सकती है जानिए
भ्रमण या घूमने के अधिकार पर राज्य निम्न परिस्थितियों में रोक लगा सकता है:-
1.कोई ऐसा स्थान जो साधारणतया जनता के लिए खतरनाक हो या असुरक्षित हो।
2. या कोई ऐसा स्थान जो अनुसूचित जनजाति के हित के लिए संरक्षण किया गया हो।
"उक्त दोनो आधार पर ही राज्य भ्रमण के अधिकार पर प्रतिबंध लगा सकती है।
Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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