एक व्यक्ति को स्वतंत्रता के साथ जीवन जीने का अधिकार भी प्राप्त होता है। इसी संदर्भ में भारतीय संविधान के व्यक्तियों को जीवन जीने के अधिकार को एक मूल अधिकार के रूप में स्थान दिया गया है। प्राण और दैहिक स्वतंत्रता अर्थात जीवन एवं शारीरिक स्वतंत्रता का अधिकार, सम्पूर्ण संविधान का सार भी कहा जा सकता है। जानते हैं भारतीय संविधान के अनुसार क्या है प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार।
भारतीय संविधान अधिनियम, 1950 के अनुच्छेद 21 की परिभाषा (सरल एवं संक्षेप शब्दों में):-
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 भारत के नागरिकों एवं विदेशी नागरिकों को भी जीवन एवं शारिरिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है अगर हम प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के संरक्षण अधिकार की बात करें तो यह बहुत ही विस्तृत अधिकार है इसके अंतर्गत:-
1. निशुल्क चिकित्सा प्राप्त करने का अधिकार।
2. राज्य से प्रतिकर प्राप्त करने का अधिकार।
3. नि:शुल्क अनाज (भोजन)खाद्दान्न पदार्थ प्राप्त करने का अधिकार।
4. आश्रय (आवास) प्राप्त करने का अधिकार।
5. निजता का अधिकार।
6. शारिरिक सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार।
7. राज्य से निःशुल्क विधिक सहायता लेने का अधिकार।
8. सम्मान-जनक जीवन जीने का अधिकार।
9. स्वच्छ वायु, पानी, बिजली पाने का अधिकार।
10. स्वच्छ पर्यावरण प्राप्त करने का अधिकार।
11. बालक एवं महिला को संरक्षण एवं सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार।
12. निर्धन, गरीब व्यक्ति को व्यक्ति को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता, राशन प्राप्त करने का अधिकार।
13. विधायिका, कार्यपालिका से संरक्षण प्राप्त एवं अवैथ विधि को अपास्त करने का अधिकार।
अनुच्छेद 21 उक्त अधिकार से भी और विस्तृत हैं जो नागरिकों को उच्चतम न्यायालय द्वारा समय समय पर प्राप्त होते हैं।
Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com