भारतवर्ष में सनातन संस्कृति को नष्ट करने और उसकी रक्षा करने के हजारों अभियान इतिहास में दर्ज हैं परंतु क्या आप जानते हैं भारतवर्ष के इतिहास में सनातन संस्कृति की रक्षा का पहला अभियान मध्य प्रदेश से शुरू किया गया था। भगवान श्रीराम ने मध्यप्रदेश की धरती पर खड़े होकर इस पृथ्वी से राक्षस प्रजाति का समूल नाश करने का संकल्प लिया था।
बहुत सारे लोगों का मानना होगा कि रावण द्वारा माता सीता का हरण कर देने के कारण राम रावण युद्ध हुआ जिसके कारण पृथ्वी पर राक्षस जाति समाप्त हो गई परंतु इस युद्ध की नींव तो बहुत पहले ही पड़ गई थी। गोस्वामी तुलसीदास जी कृत श्री रामचरितमानस में स्पष्ट उल्लेख है कि वनवास के प्रारंभिक काल में जब भगवान श्री राम सिद्धा पर्वत पर पहुंचे तो देखा कि वहां ऋषि-मुनियों की अस्थियों के ढेर लगे हुए हैं।
त्रेता युग में सिद्धा पर्वत ऋषि मुनियों के आकर्षण का केंद्र था। मान्यता है कि सिद्धा पर्वत पर यज्ञ करने से असंभव मनोकामना भी पूर्ण हो जाती थी। नवीन ज्ञान की प्राप्ति, प्रकृति के रहस्य जानने और अपने अविष्कारों को सफल बनाने की युक्ति जानने के लिए ऋषि मुनि नियमित रूप से सिद्धा पर्वत पर यज्ञ किया करते थे।
यह उल्लेख भी श्रीरामचरितमानस में मिलता है कि रावण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए मध्य प्रदेश के भूमि क्षेत्र में बहने वाली नर्मदा नदी में तपस्या करने के लिए नियमित रूप से आता था। रावण की सेना के राक्षस सिद्धा पर्वत पर यज्ञ करने वाले ऋषि मुनियों की हत्या कर दिया करते थे, क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि इस पृथ्वी पर कोई भी रावण के समकक्ष हो सके।
भगवान श्रीराम को जब इसके विषय में विस्तृत जानकारी मिली तो क्षमा धर्म का पालन करने वाले क्षत्रिय श्री राम ने सिद्धा पर्वत पर खड़े होकर संकल्प लिया था कि वह इस पृथ्वी से सनातन संस्कृति पर हमला करने वाले राक्षसों को समाप्त कर देंगे। मान्यता है कि इसी संकल्प के कारण भगवान ब्रह्मा ने विधि का विधान रचा और अहंकार में डूबे रावण ने माता सीता का हरण कर लिया। यही घटना पृथ्वी पर राक्षस जाति के समाप्त होने का कारण बनी।