इंदौर। मध्य प्रदेश का इंदौर शहर केवल स्वच्छता में नंबर वन नहीं है बल्कि और भी कई मामलों में नंबर वन है। यहां एक ऐसी घटना घटित हुई है जो पूरे पुलिस डिपार्टमेंट के लिए एक केस स्टडी बन गई है। पुलिस इन्वेस्टिगेशन की मान्यताएं और परंपराएं टूटती हैं और यह क्राइम स्टोरी बताती है कि इन्वेस्टिगेशन के दौरान पुराने फंडे परेशान कर सकते हैं।
सबसे पहले घटना का विवरण
दिनांक 19 सितंबर की शाम एक व्यक्ति एक्टिवा स्कूटर से परेश स्टील कंपनी की तरफ जा रहा था। वह कंपनी का कर्मचारी था और स्कूटर की डिग्गी में 19 लाख रुपए रखे हुए थे। अचानक तेज बारिश शुरू हुई। उस व्यक्ति ने स्कूटर को सड़क पर पार्क किया और बारिश से बचने के लिए छत के नीचे खड़ा हो गया। बारिश बंद होने पर जब स्कूटर के पास पहुंचा तो देखा डिग्गी खुली हुई थी और 19 लाख रुपए गायब थे।
लड़के ने तत्काल कहा कि यह तो मैं हूं
सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस इन्वेस्टिगेशन शुरू की। 150 सीसीटीवी कैमरा द्वारा रिकॉर्ड हुए वीडियो देखने के बाद पुलिस को कोई दिखाई दिया, जिसकी गतिविधियां संदिग्ध थी। वह 12 साल का बच्चा था जो अखबार बांटने का काम करता था। लड़के को पकड़ना मुश्किल नहीं था। उसे थाने ले आया गया। पुलिस इन्वेस्टिगेशन शुरू हुई। उसे वीडियो दिखाया गया और पूछा कि यह कौन है। लड़के ने तत्काल कहा कि यह तो मैं हूं। पुलिस टीम को लगा कि केस सॉल्व हो गया है।
पुलिस ने उसकी हर डिमांड पूरी की
बच्चों के साथ इन्वेस्टिगेशन के लिए पुलिस की एक कॉमन प्रैक्टिस होती है। सबसे पहले बच्चे को कंफर्टेबल किया जाता है ताकि उसके भीतर का डर निकल जाए और वह सवालों का सही जवाब दें। इसके लिए उसके साथ फ्रेंडली बिहेवियर किया जाता है। इस केस में भी ऐसा ही हुआ। चॉकलेट, कुरकुरे, और बिस्किट के बाद उसने कोल्ड ड्रिंक मांगी और पुलिस ने उसकी हर डिमांड पूरी की।
तब उससे पूछा कि तुम्हारे साथ और कौन-कौन है
फिर पुलिस ने यह टेस्ट करने के लिए के बच्चा सभी सवालों का सही जवाब देगा या नहीं। कुछ ऐसे सवाल पूछे जिनके जवाब पुलिस को पता था (जैसे तुम्हारा नाम क्या है, कहां रहती हो, माता-पिता और पढ़ाई आदि)। जब पुलिस को कॉन्फिडेंस हो गया कि बच्चा हर सवाल का सही जवाब दे रहा है तब उससे पूछा कि तुम्हारे साथ और कौन-कौन है। पुलिस को कॉन्फिडेंस था कि इस तरह पलक झपकते चोरी की वारदात 12 साल का यह बच्चा नहीं कर सकता। जरूर इसे किसी गिरोह ने यूज़ किया है।
पुलिस ने दोनों को उठा लिया, 5 दिन तक जमकर खातिरदारी की
बच्चे ने तत्काल बता दिया कि उसके साथ परदेसी पुरा का एक ऑटो ड्राइवर और खजराना का भाऊ साहब है। पुलिस ने दोनों को उठा लिया। 5 दिन तक जमकर खातिरदारी की गई। जब पुलिस का हर फार्मूला फेल हो गया तब पुलिस ने दोनों की लोकेशन और बाकी जानकारी निकाली। पता चला कि दोनों चोरी के अपराध में शामिल नहीं है। पुलिस ने माथा पकड़ लिया। पुलिस फिर बच्चे के पास पहुंची।
इस तरह उसने दोनों दुश्मनों से बदला ले लिया
बच्चे ने इस बार झूठ नहीं बोला। उसने बताया कि परदेसी पुरा का जो ऑटो ड्राइवर है, वह उससे अखबार खरीदता था परंतु उसने पैसे नहीं दिए थे। इसलिए उसने पुलिस को उसका नाम बता दिया। वही खजराना वाले भाऊ साहब ने एक बार उसे बहुत बुरी तरह से दुत्कार दिया था। उसे जलील किया था इसलिए उसने भाऊ साहब का नाम पुलिस को बताया। इस तरह उसने दोनों दुश्मनों से बदला ले लिया।
इंदौर पुलिस अब फिर से सीसीटीवी कैमरे चेक कर रही है क्योंकि तीनों में से कोई चोर नहीं है।