Motor Vehicles Act 1988, compensation, law cases
जब कोई व्यक्ति किसी वाहन से दुर्घटना ग्रस्त हो जाता हैं या वाहन द्वारा मृत्यु हो जाती है तब सरकार द्वारा उसके परिवार वालो को प्रतिकर (मुआवजा) प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त होता है एवं कोई भी आश्रयदाता दावा प्रस्तुत कर सकते हैं। सवाल यह है की अगर न्यायालय द्वारा मुआवजे की राशि अधिक बना दी गई है या कम बना दी गई है, तब क्या मुआवजे की राशि को बदलने के लिए न्यायालय में अपील की जा सकती है और क्या अपीलीय न्यायालय द्वारा पूर्व निर्धारित मुआवजे की राशि को बदला जा सकता है।जानिए महत्वपूर्ण जजमेंट:-
1. रसमिता बिसवाल एवं अन्य बनाम डिवीजन मैनेजर, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड एवं अन्य(निर्णय वर्ष 2021):-
उक्त मामले में उच्चतम न्यायालय ने नेशनल इंश्युरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम प्रणय सेठी एवं अन्य के मामले का अवलोकन करते हुए अभिनिर्धारित किया कि मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 173 निचले न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध अपीलकर्ता को अपीलीय न्यायालय में अपील करने का अधिकार देती है।
आगे न्यायालय ने कहा कि किसी भी दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को या उसके आश्रित उत्तराधिकारी को मिलने वाली राशि जो न्यायाधिकरण द्वारा बना दी गई है उसे कम नहीं किया जा सकता है अतः जो राशि प्रतिकर में दी जा रही है वह यथाशीघ्र दावाकर्ता को भुगतान होना चाहिए।
क्या मुआवजे की राशि अपीलीय न्यायालय द्वारा बढ़ाई जा सकती है जानिए:-
अब सवाल यह है की क्या कोई प्रतिकर अधिकरण न्यायालय द्वारा बना दिया गया है उसे बढ़ावा जा सकता है जानिए महत्वपूर्ण जजमेंट।
2. जितेन्द्रन (जिथेन्द्रन) बनाम न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड एवं अन्य (निर्णय वर्ष 2021):-
उक्त मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा चनप्पा नागप्पा मचलागोड़ा बनाम डिवीजनल मैनेजर न्यू इंडिया इंश्यूरेंस कम्पनी लिमिटेड के निर्णय का अवलोकन करते हुए अभिनिर्धारित किया कि अगर कोई व्यक्ति दुर्घटना से इतना निःशक्त (अपंग) हो गया है की वह घर से बाहर नहीं निकल पा रहा है लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में उसकी निःशक्तता 69% हैं तब भी वह 100% मानी जायेगी एवं उसे 100℅ प्रतिकर (मुआवजा) प्राप्त करने का अधिकार होता है।
अतः उपर्युक्त दोनो जजमेंट के आधार पर कहा जा सकता है कि मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 173 व्यक्ति को अपील करने का अधिकार हैं परन्तु न्यायालय, अधिकरण द्वारा दिए गए प्रतिकर को कम नहीं कर सकता है, लेकिन परिस्थितियों के अनुसार प्रतिकर (मुआवजे) को बढ़ाया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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