बहुत से ऐसे अपराध होते हैं जो लोकसेवक अपने कर्तव्यों का उल्लंघन करते हैं या किसी दस्तावेज को छुपा लेते हैं जिससे आरोपी व्यक्ति को इसका फायदा अप्रत्यक्ष रूप से रूप से उसका पूरा पूरा फायदा मिलता है। ऐसा लोकसेवक जो आरोपी की अप्रत्यक्ष रूप से मदद करता है, तब ऐसे लोकसेवक को किस कानून के अंतर्गत दण्डित किया जाएगा जानिए।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 119 की परिभाषा:-
कोई लोक-सेवक जिसका कर्तव्य अपराध का निवारण करना है यदि वह जानबूझकर कर किसी अपराध को आसान बनाने के आशय से उस अपराध की रचना को छिपाता हैं जिसके कारण अपराध बनेगा तब वह लोकसेवक उपर्युक्त धारा 119 के अंतर्गत अपराधी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 119 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध संज्ञेय एवं असंज्ञेय दोनो प्रकार के हो सकते हैं एवं जमानतीय एवं अजमानतीय दोनो प्रकार के होंगे(अर्थात अगर लोकसेवक हत्या के आरोपी का साथ देगा तो यह संज्ञेय अपराध के साथ अजमानतीय अपराध होगा)। इनकी सुनवाई उसी न्यायालय में होगी जहाँ दुष्रेरित व्यक्ति का अपराध विचारण में है। सजा- इस अपराध के लिए लोकसेवक को अपराध की अधिकतम कारावास की आधे कारावास से दण्डित किया जा सकता है अर्थात मानव-वध के आरोपी को अधिकतम कारावास 20 वर्ष होगी तो लोक-सेवक को 10 वर्ष की कारावास से दण्डित किया जाएगा।
अर्थात हम कह सकते हैं कि कोई लोकसेवक या पुलिस का कोई भी अधिकारी जो आपने कर्तव्यों को जानबूझकर कर छिपता हैं जिससे आरोपी व्यक्ति को अपराध में अप्रत्यक्ष रूप से सहायता मिले तब वह पुलिस अधिकारी भी उसी अपराध का दोषी होगा जिस अपराध का आरोपी दोषी होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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