भोपाल। मौलाना आजाद नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के जंगल से पकड़े गए टाइगर ने इस घटनाक्रम से क्या सीखा क्या नहीं, यह तो वही जाने परंतु स्टूडेंट्स को एक पुराना सबक जरूर रिमाइंड करा दिया। एक ऐसा सबक जिसे सीखा तो सबने था परंतु देखा किसी ने नहीं था। जिंदगी में पहली बार उन्हें देखने को मिला।
मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के जंगल में टाइगर बिल्कुल अल्हड़ और आजाद घूम रहा था। जानवरों का शिकार कर रहा था। उसने स्टूडेंट को भी देखा था परंतु उन पर हमला नहीं किया था, क्योंकि उसकी मां ने उसे सिखाया था कि किस प्रकार के दिखाई देने वाले जानवरों पर हमला करना है। सब कुछ बड़े मजे से चल रहा था और टाइगर ने अपनी एक नई टेरिटरी (इलाका) बना ली थी, लेकिन लालच में फंसकर टाइगर ने अपना पूरा साम्राज्य खत्म कर दिया।
वन विभाग वालों ने एक पिंजरा लगाया जिसके अंदर बकरी को बांध दिया। टाइगर लालची होता है। वह चीता से उसका शिकार छीनकर ले जाता है। यानी किसी दूसरे के शिकार को और मरे हुए जानवरों को खाकर अपनी भूख मिटा लेता है। इस बार भी बकरी के लालच में आकर पिंजरे के अंदर चला गया।
नतीजा उसे सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में भेज दिया गया। उसे रेडियो कॉलर पहना दिया गया है। अब उसकी लोकेशन हमेशा फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों के पास रहेगी और कोई शिकारी भी उसकी लोकेशन चुरा सकता है। कल तक टू टाइगर MANIT BHOPAL के जंगल का राजा हुआ करता था अब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में पर्यटकों का मनोरंजन किया करेगा।
MORAL OF THE STORY
मक्कारी हमेशा आपसे आपका राजपाट छीन लेती है और आपको पता भी नहीं चलता। पिंजरे में टाइगर को जिंदगी भर अच्छा खाना मिलता है परंतु उसे राजा कोई नहीं कहता। उसका अपना कोई जंगल नहीं होता। वह कभी इतिहास नहीं बनाता। तो, मोरल ऑफ द स्टोरी यह है कि ईश्वर ने जो गुण और कर्म निर्धारित करके भेजें हैं, उन्हीं को डिवेलप करो और अपनी टेरिटरी बनाओ। आलस और मक्कारी में जीवन तो कट जाएगा परंतु अस्तित्व मिट जाएगा। ✒ उपदेश अवस्थी