जबलपुर। मध्य प्रदेश शासन के वर्ग 3 यानी तृतीय श्रेणी कर्मचारी का मंत्रालय से किया गया डायरेक्ट ट्रांसफर उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ द्वारा निरस्त कर दिया गया। याचिकाकर्ता के वकीलों द्वारा स्पष्ट किया गया कि मध्य प्रदेश की ट्रांसफर पॉलिसी के अनुसार वर्ग 3 शासकीय सेवक का स्थानांतरण कलेक्टर और प्रभारी मंत्री की मंजूरी के बिना नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ता मंडीदीप, रायसेन निवासी पंकज राठौर की ओर से अधिवक्ता मोहनलाल शर्मा, शिवम शर्मा व अमित स्थापक ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता भोपाल संभाग अंतर्गत नगर पालिका, मंडीदीप में सामाजिक न्याय व निशक्तजन कल्याण विभाग अंतर्गत समग्र सामाजिक सुरक्षा विस्तार अधिकारी के पद पर पदस्थ है। प्रशासकीय आवश्यकता प्रदर्शित करते हुए उसका स्थानांतरण जनपद पंचायत भावरा, अलीराजपुर कर दिया गया, जो कि खंडवा संभाग अंतर्गत आता है।
मध्य प्रदेश शासन की निर्धारित नीति के अनुसार किसी भी वर्ग-तीन शासकीय कर्मचारी का स्थानांतरण प्रभारी मंत्री या कलेक्टर की अनुमति के बिना जिले से बाहर दूसरे संभाग में नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद ऐसा किया गया। यही नहीं इससे पूर्व 19 मई, 2021 को उसे मंत्रालय से मंडीदीप स्थानांतरित किया गया था। इस तरह काफी कम अंतराल में बार-बार स्थानांतरण के जरिए परेशान किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ द्वारा निर्देशित किया गया है कि याचिकाकर्ता शासकीय कर्मचारी के अभ्यावेदन का 45 दिन के भीतर निराकरण किया जाए। नहीं करने पर हाई कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी।