भोपाल। उच्च शिक्षा विभाग में प्राध्यापकों, सहायक प्राध्यापकों के हुए थोकबंद ट्रांसफर से सूबे की सियासत गर्म हो गई है। अतिथि विद्वान महासंघ ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। जैसा कि विदित है की जो भर्ती 2017-18 में असिस्टेंट प्रोफेसर की हुई थी आज दिनांक तक उनकी परिवीक्षा अवधि समाप्त नहीं हुई और उनका ट्रांसफर उच्च शिक्षा विभाग ने कर दिया।
जबकि इस पूरी भर्ती का मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है साथ ही हाल ही में आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग ने एडी स्तर पर कमेटी बनाकर 3 साल नौकरी करने के बाद रिकार्ड वेरिफिकेशन करवा रहा है जो की इस भर्ती पर सवालिया निशान लगा दिया है। फिर इनका ट्रांसफर कैसे। अतिथि विद्वान महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ देवराज सिंह ने कहा की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ज़ी ने कई बार अतिथि विद्वानों के हित में वादा कर चुके हैं की किसी भी अतिथि विद्वान को बाहर नही किया जाएगा लेकिन विभाग ने इसके उलट अतिथि विद्वानों को बाहर कर दिया जो की बेहद गंभीर मामला है।
एक साथ लगभग 300 अतिथि विद्वानों को बाहर कर सरकार ने 300 घर परिवार को उजाड़ दिया है। संघ इसके खिलाफ़ मजबूती से आवाज़ उठाएगा।
मध्य प्रदेश के मूल निवासी अतिथि विद्वानों की नौकरी क्यों छीन रही सरकार
वहीं अतिथि विद्वानों के सामने अब फिर रोज़ी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है।एक तरफ़ मुख्यमंत्री मंत्री नियमितीकरण का वादा करते है तो दूसरी तरफ अतिथि विद्वानों को बेरोजगार किया जा रहा है।अतिथि विद्वान महासंघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने बताया कि संघ सैकड़ों बार मंत्री,अधिकारियों से मिल चुका है की अतिथि विद्वानों को बाहर ना करें एक व्यवस्थित नीति बनाएं मुख्यमंत्री जी आंदोलन में आकर हजारों अतिथि विद्वानों के सामने सैकड़ों मीडिया कर्मियों के सामने वादा किए हैं भविष्य सुरक्षित करने का फिर विभाग ऐसा क्यों कर रहा है जो की समझ से परे है।
आज अतिथि विद्वानों में काफ़ी आक्रोश है साथ ही निराशा भी।डॉ पांडेय ने सरकार से आग्रह करते हुए कहा की पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया का पत्र जारी कर अतिथि विद्वानों की मुश्किलों का समाधान सरकार करे जिसमें उल्लेख था की प्राध्यापक जहा से आयेंगे उस पद में अतिथि विद्वानों को भेजा जाएगा।
वहीं विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथ लिया
कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने ट्वीट करते हुए कहा की कांग्रेस सरकार में ट्रांसफर उद्योग का राग अलापने वाले अब बताएं की ये कौन सा उद्योग है।अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर तो भाजपा को सत्ता मिल गई अब नियमितीकरण तो दूर इनकी रोज़ी रोटी क्यों छीन रही है सरकार।अतिथि विद्वानों के साथ न्याय होना चाहिए ये प्रदेश के मूल निवासी और योग्य अनुभवी हैं।