ग्वालियर। चुनावी राजनीति में जब तक मैंडेट जारी ना हो जाए कुछ भी फाइनल नहीं होता लेकिन हाल ही में कार्यकर्ताओं के बीच गोपनीय तरीके से कराई गई रायशुमारी में पता चला है कि गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुरैना लोकसभा सीट पर नरेंद्र सिंह तोमर की स्थिति कमजोर है। विशेषज्ञों का कहना है कि जीत सुनिश्चित करने के लिए दोनों को सीट बदल लेनी चाहिए।
आज चुनाव हुए तो सिंधिया फिर से हार जाएंगे
भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं से मधुर संबंध वाले कुछ पत्रकारों की खबरें बताती हैं कि गुना शिवपुरी लोकसभा सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की स्थिति आज भी मजबूत नहीं हुई है। जनता वर्तमान सांसद डॉक्टर केपी सिंह यादव से खुश नहीं है लेकिन भाजपा में आने और केंद्रीय मंत्री बन जाने के बावजूद गुना शिवपुरी के जमीनी भाजपा कार्यकर्ताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति समर्पण और आकर्षण नहीं बन पा रहा है।
सिंधिया राजवंश के राजनीतिक इतिहास में 2019 में पहली बार सिंधिया परिवार का कोई सदस्य, वह भी सिंधिया राजवंश का मुखिया एक ऐसे प्रतिद्वंदी (डॉ केपी सिंह यादव) के सामने हार गया था, जो कुछ समय पहले तक ज्योतिरादित्य सिंधिया से उनके लोकसभा क्षेत्र में एक छोटी सी विधानसभा से टिकट मांग रहा था। बताने की जरूरत नहीं की इस चुनावी नतीजे के पीछे केपी सिंह का प्रताप नहीं बल्कि सिंधिया का विरोध, मोदी की लहर और कमलनाथ की कृपा संयुक्त रूप से शामिल थे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर सीट पर गंभीर
बताया जा रहा है कि यह जानकारी ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी है इसलिए वह समानांतर रूप से ग्वालियर लोकसभा सीट पर काम कर रहे हैं। सिंधिया राजवंश के लिए ग्वालियर वैसे भी महत्वपूर्ण सीट है। राजमाता विजयराजे सिंधिया ने ग्वालियर सीट से ही अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। कैलाशवासी माधवराव सिंधिया गुना-शिवपुरी से चुनाव जीतने के बाद भी ग्वालियर की राजनीति ही करते रहे। भाजपा में आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर लोकसभा सीट पर काफी गंभीरता से काम कर रहे हैं। उनके सबसे विश्वसनीय मंत्री तुलसी सिलावट ग्वालियर के प्रभारी मंत्री हैं। यहां उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उन सभी नेताओं को साध लिया है, जिनसे चुनाव में थोड़ा भी खतरा हो सकता था।
नरेंद्र सिंह तोमर, गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से लड़ सकते हैं
भारतीय जनता पार्टी के लिए गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी का गढ़ है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया अपने जीवन का हर चुनावी सीट से जीती हैं। माधवराव और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समय यह सीट कांग्रेस के पास चली गई थी परंतु 2019 में मोदी लहर के चलते भाजपा के पास वापस आ गई है। अब भाजपा के पास सिंधिया भी हैं इसलिए पार्टी इस सीट को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती। डॉक्टर केपी सिंह यादव की स्थिति अच्छी नहीं है। इस सीट पर किसी कद्दावर नेता की जरूरत है। मुरैना लोकसभा सीट पर नरेंद्र सिंह तोमर की स्थिति अच्छी नहीं है जबकि गुना शिवपुरी लोकसभा सीट के भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ नरेंद्र सिंह तोमर के संबंध काफी अच्छे हैं। इसलिए, इस संभावना पर विचार किया जा रहा है।