जबलपुर। हाई कोर्ट में एक पिता द्वारा याचिका दायर की गई। इसमें आरोप लगाया गया कि उसके पुत्र को होशंगाबाद की शिवपुर पुलिस ने बेरहमी से पीटा। और उसे अपनी पकड़ से मुक्त करने के लिए ₹200000 वसूल किए। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने मामले को गंभीरता से लिया है और मानवाधिकार आयोग एवं लोकायुक्त को 3 महीने के भीतर जांच करके रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
याचिकाकर्ता होशंगाबाद निवासी त्रिभुवन नाथ मिश्रा की ओर से अधिवक्ता विजय कुमार शुक्ला ने पक्ष रखा। उन्होंने उच्च न्यायालय को बताया कि, हत्या के एक प्रकरण में बयान दर्ज कराने सिवनी मालवा के SDOP शैम्या अग्रवाल द्वारा याचिकाकर्ता के पुत्र शौर्य को भोपाल से पकड़कर होशंगाबाद के शिवपुर पुलिस थाने ले जाया गया। आरोप लगाया कि पुलिस ने अपनी हिरासत में याचिकाकर्ता के पुत्र को बेरहमी से पीटा। इतना ही नहीं SDOP व SHO संजीव सिंह परिहार ने उसे छोड़ने के बदले दो लाख रुपये की रिश्वत भी ली।
कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस ने 26 फरवरी, 2022 से 2 मार्च, 2022 तक की सीसीटीवी फुटेज भी सुरक्षित नहीं रखे। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद तल्ख टिप्पणी में कहा कि यह मामला प्रथम दृष्टया ये मामला मानवाधिकार हनन का प्रतीत होता है। दरअसल, पुलिस ने अपनी कमियों और बर्बरता को छिपाने के लिए सीसीटीवी फुटेज भी सुरक्षित नहीं रखे। कोर्ट ने तीन माह में मानवाधिकार आयोग को जांच पूरी करने के निर्देश दिए।