भोपाल। मध्यप्रदेश में एक नई परंपरा शुरू हो गई है। जिस नाम पर भ्रष्टाचार का कलंक लग जाता है सरकार वह नाम बदल देती है। व्यवसायिक परीक्षा मंडल का दो बार नाम बदला जा चुका है। अब एक मामले की जांच शुरू होते ही महाकाल लोक का नाम बदल दिया गया।
भावनाएं समझने में बड़ी देर लगा दी
यह मूल रूप से महाकाल मंदिर कॉरिडोर है। दिखने में भव्य और काफी आकर्षक है। विधानसभा चुनाव से पूर्व लोकार्पण किया गया इसलिए इसका नामकरण भी किया गया। बड़े विचार मंथन के बाद कैबिनेट ने महाकाल लोक नाम फाइनल किया था। दुनिया के 40 देशों में इसी नाम से प्रचार किया गया। अब मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी उज्जैन आए थे उन्होंने इस भव्य, दिव्य, अलौकिक स्थान को देखकर विचार व्यक्त किया था कि महाकाल महालोक बहुत अद्भुत है। उनकी भावनाओं के अनुरूप अब नवनिर्मित परिसर श्री महाकाल महालोक ही कहलाएगा'।
महाकाल लोक घोटाला क्या है
मध्यप्रदेश लोकायुक्त संगठन ने उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह समेत तीन आईएएस अफसरों और 15 लोगों को नोटिस जारी किया। लोकायुक्त संगठन को मिली शिकायत के अनुसार आरोप है कि अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करके एक ठेकेदार को आर्थिक लाभ पहुंचाया है। इस मामले में लोकायुक्त ने अधिकारियों को नोटिस जारी कर 28 अक्टूबर तक जवाब देने को कहा है।
आरोप है कि महाकाल लोक के प्रथम फेज के निर्माण में निम्न गुणवत्ता की पार्किंग का निर्माण किया गया। ठेकेदार के गलत बिलों को पास किया गया। बिलों को बिना जांच के पास कर दिया गया। लोकायुक्त संगठन ने उज्जैन कलेक्टर और स्मार्ट सिटी के अध्यक्ष आशीष सिंह, उज्जैन समार्ट सिटी के तत्कालीन सीईओ क्षितिज सिंह और तत्कालीन आयुक्त अंशुल गुप्ता को नोटिस भेजा है। इसके अलावा उज्जैन स्मार्ट के निदेशक सोजन सिंह रावत, दीपक रत्नावत, स्वतंत्र निदेशक श्रीनिवास नरसिम्हा राव पांडुरंगी, मुख्य परिचालन अधिकारी आशीष पाठक, तत्कालीन मुख्य परिचालन अधिकारी जितेंद्र सिंह चौहान शामिल है। इसके अलावा अन्य अधिकारियों को भी नोटिस जारी किया गया है।
उल्लेखनीय है कि श्री महाकाल लोक का निर्माण दो चरणों में किया जा रहा है। इस पर दोनों चरणों में 856 करोड़ रुपए खर्च का बजट है। 316 करोड़ से प्रथम चरण का काम पूरा हो गया है। जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी का है। उसी के फंड से खर्चा किया जा रहा है। आरोप तो यह भी लगी है कि कॉरिडोर में धातुओं की मूर्तियां लगनी थी परंतु ऐसे पदार्थों से बनी मूर्तियां लगाई गई है जिनकी आयु 25 साल से अधिक नहीं होगी।