मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने 27 अक्टूबर 2022 को एक विज्ञप्ति जारी की थी। इस विज्ञप्ति के कारण अभ्यर्थियों में भ्रम फैल गया कि राज्य सेवा और वन सेवा में ईडब्ल्यूएस (EWS-Economicaly Weaker section; आर्थिक रूप से पिछड़े) आरक्षण के तहत 10% छूट को लागू नहीं किया जाएगा। 27 अक्टूबर को जारी की गई विज्ञप्ति पड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
गौरतलब है कि दिनांक 27 अक्टूबर 2022 को जारी की जाने वाली विज्ञप्ति में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने पहली ही लाइन में लिखा था कि आयोग द्वारा राज्य सेवा और राज्य वन सेवा परीक्षा के "अतिरिक्त" अन्य पदों जैसे- दंत शल्य चिकित्सक, सहायक पशु चिकित्सा शल्यज्ञ, राज्य अभियांत्रिकी सेवा की भर्ती हेतु आयोजित परीक्षाओं में ईडब्ल्यूएस वर्ग को न्यूनतम अंकों में 10% की छूट का उल्लेख करते हुए जानकारी दी गई थी। इसमें लिखा गया था कि EWS वर्ग को न्यूनतम अंकों में 10 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। अनारक्षित वर्ग को जहाँ प्रश्नपत्रों के प्रत्येक खंड में 40% तक हासिल करना जरूरी है, वहीं आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को जिसमें ईडब्ल्यूएस भी शामिल है उन्हें पास होने के लिए प्रत्येक खंड में 30% अंक लाना अनिवार्य है।
जबकि अभ्यर्थियों ने इस विज्ञप्ति की पहली लाइन में लिखे राज्य सेवा और वन सेवा के "अतिरिक्त" शब्द के आधार पर अफवाह फैला दी कि एमपीपीएससी ने इन दो परीक्षाओं में ईडब्ल्यूएस को आरक्षण लागू नहीं किया है। यानी इन परीक्षाओं में 10 प्रतिशत अंक की छूट नहीं दी जा रही है। एमपीपीएससी के ओएसडी डॉ रविंद्र पंचभाई के अनुसार ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। शासन के नियमानुसार ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण का लाभ सभी भर्ती प्रक्रियाओं में दिया जा रहा है।
दरअसल, राज्य सेवा और वन सेवा की परीक्षाओं के प्रश्नपत्र योजना अलग होती है। ताजा विज्ञप्ति(27 अक्टूबर को जारी की गई थी) जिन परीक्षाओं के लिए जारी की गई उसमें अलग अलग खंड होते हैं। आयोग ने साफ किया है कि एक प्रश्न पत्र के अलग अलग खंड में भी किसी भी अभ्यर्थी को न्यूनतम अंक पाना अनिवार्य है तभी उसका चयन हो सकेगा। जबकि राज्य सेवा और वन सेवा में प्रश्न पत्रों में खंडों का प्रावधान नहीं है।
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने कहा कि 27 अक्टूबर को जारी विज्ञप्ति में राज्य सेवा और वन सेवा परीक्षा का उल्लेख नहीं है। यह विज्ञप्ति सिर्फ दंत शल्य चिकित्सा सहायक, पशु चिकित्सा, राज्य अभियांत्रिकी सेवा आदि परीक्षाओं में मार्किंग स्कीम को लेकर असमंजस की स्थित पर बना भ्रम दूर करने के लिये जारी की गई थी।
उल्लेखनीय है कि MPPSC को कई अभ्यर्थियों के आवेदन मिले हैं कि उनके कट ऑफ से अधिक अंक आने के बावजूद भी उनका चयन नहीं किया गया। ऐसे में उन अभ्यर्थियों को स्पष्ट किया गया है कि वे भले ही कुल अंक ज्यादा लाए हो लेकिन प्रश्नपत्र के अलग -अलग खण्डों में उनके न्यूनतम अंक की अर्हता वे पूरी नहीं कर सके हैं, इसलिए वे चयन सूची से बाहर किए गए हैं।