अन्य मौलिक अधिकारों की भांति भी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर भी राज्य सरकार प्रतिबंध लगा सकती है क्योंकि एक लोकतांत्रिक देश को चलाने के लिए आम व्यक्तियों के हितों की सुरक्षा व्यवस्था एवं देश में शान्ति व्यवस्था बनाए रखना राष्ट्रीय का महत्वपूर्ण कर्तव्य होता है। इसलिए राज्य धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर निम्न स्तर पर रोक लगा सकता है जानिए।
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धर्म के नाम पर कोई भी व्यक्ति ऐसा कार्य नहीं करेगा जिससे किसी सार्वजनिक व्यवस्था, सदाचार, जनता के स्वास्थ्य के विरुद्ध कोई दुष्परिणाम उत्पन्न हो जैसे कि जानवरों की सार्वजनिक स्थान पर कर्मकांड के लिए बलि देना, धर्म प्रचार के लिए शरीर पर अभ्रद प्रदर्शन आदि करना यह असंवैधानिक हैं।
धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के प्रतिबंध पर महत्वपूर्ण जजमेंट जानिए-
1. स्टैंनीइस्लाब बनाम मध्यप्रदेश राज्य:-
मामले में न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किया कि बलपूर्वक धर्म-परिवर्तन से लोक व्यवस्था भंग होती है एवं राज्य सरकार इस पर प्रतिबंध लगा सकती है।
2. गुलाम अब्बास बनाम उत्तर प्रदेश राज्य:-
मामले में न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किया कि कब्रगाह को एक स्थान से दूसरे स्थान को हटाने का आदेश देना लोक व्यवस्था के हित में होता है एवं यह आदेश संवैधानिक होगा।
3. आचार्य जगदीश्ववरानन्द अवधूत बनाम पुलिस कमिश्नर कलकत्ता:-
मामले में न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किया कि सार्वजनिक स्थान पर खतरनाक शास्त्रों एवं कपालो के साथ तांडव नृत्य करना धार्मिक कर्मकांड नहीं है अतः दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लागू करना लोकशान्ति, लोक व्यवस्था के हितों के लिए संरक्षण होगा एवं इस तरह का आदेश संवैधानिक होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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