भोपाल। मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पदस्थ लगभग 26000 सरकारी शिक्षकों के ट्रांसफर हो जाने के कारण 10500 स्कूलों में शिक्षकों की कमी हो गई है। इन सभी स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की भर्ती के लिए आदेश जारी किए गए हैं। इसी ट्रांसफर के कारण कुछ स्कूलों में अतिथि शिक्षक की आवश्यकता नहीं रही है। ऐसे सभी अतिथि शिक्षकों की तत्काल सेवा समाप्ति के आदेश जारी किए गए हैं। सरल शब्दों में कहें तो मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की भर्ती के आदेश जारी किए गए हैं जिनमें सरकार का कोई नियमित शिक्षक पढ़ाना पसंद नहीं करता।
मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए डीपीआई का आदेश
आयुक्त लोक शिक्षण अभय वर्मा ने मंगलवार को एक आदेश जारी किया। इसमें दावा किया गया कि स्थानांतरण प्रक्रिया समय पर पूरी की गई। इसमें 43118 ऑनलाइन आवेदन आए थे। इनमें से 25905 स्थानांतरण किए गए हैं। उपरोक्तानुसार स्थानांतरण प्रक्रिया से शिक्षक विहीन शालाओं एवं एक शिक्षकीय शालाओं की संख्या में क्रमश: 123 एवं 1154 की कमी आई है। वर्तमान में 2357 शिक्षक विहीन एवं 8307 एक शिक्षकीय शालाएं हो गई हैं। इससे पढ़ाई पर असर पढ़ रहा है। जरूरी है कि ऐसी सभी स्कूल जहां शिक्षकों की अत्यधिक कमी है अथवा स्थानांतरण के द्वारा रिक्त हुई है, ऐसे सभी स्थानों पर प्राथमिकता के आधार पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जाए। ताकि शिक्षण व्यवस्था प्रभावित न हो।
मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्ति के लिए डीपीआई का आदेश
ऐसे सभी स्कूल जहां हाल ही में स्थानांतरण के माध्यम से पदस्थापना की गई है, उन स्थानों पर यदि पूर्व से अतिथि शिक्षक कार्यरत रहे है, तो उन्हें तत्काल कार्यमुक्त किया जाए। रिकॉर्ड के अनुसार कुल 26000 शिक्षकों के मनचाहे तबादले हुए हैं। एक अनुमान लगाएं तो लगभग 13000 अतिथि शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी जाएगी।
अतिथि शिक्षकों को दिहाड़ी मजदूर समझता है शिक्षा विभाग
जिस प्रकार के आदेश लोक शिक्षण संचालनालय से जारी हुए हैं, स्पष्ट होता है कि अतिथि शिक्षकों को शिक्षा विभाग के अधिकारी एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में देखते हैं। जब जरूरत होती है बुला लिया जाता है और जब जरूरत समाप्त हो जाती है हटा दिया जाता है। इनकी नियुक्ति मात्र एक शिक्षा सत्र के लिए भी नहीं होती। सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षकों का शोषण कितने प्रकार से होता है, बताने की जरूरत नहीं है, लेकिन एक बात ध्यान दिलाने की जरूरत है कि अतिथि शिक्षकों के साथ जो व्यवहार किया जा रहा है, उचित नहीं है। एक प्रशिक्षित एवं कुशल कर्मचारी के साथ देहाती मजदूर जैसा व्यवहार, सरकार की स्वास्थ्य को गिराने का काम करता है।