भोपाल। क्या कोई कबाड़ी का काम करना चाहता है। कबाड़ी का काम करने के लिए क्या कोई पढ़ाई लिखाई करता है और क्या पढ़े-लिखे युवाओं को कबाड़ी का काम करना चाहिए। जिनकी आंखों में अपॉर्चुनिटी देखने की क्षमता नहीं है, वह इन सवालों का जवाब एक बड़े से NO में देंगे, परंतु भोपाल के दो लड़कों ने कबाड़ी का ऑनलाइन काम शुरू किया और करोड़पति बन गए। मुंबई की कंपनी ने उन्हें कारोबार बढ़ाने के लिए ₹15 करोड़ दिए हैं। इससे पहले 30M का इन्वेस्टमेंट मिल चुका है।
इन दोनों लड़कों का नाम है अनुराग असाटी और रविंद्र रघुवंशी। इनकी ऑनलाइन दुकान (WEBSITE) का नाम है (THE KABADIWALA) द कबाड़ीवाला। इन दोनों को आज तक जितना पैसा कबाड़ से नहीं मिला, उससे ज्यादा पैसा इनके आईडिया को मिला है। कहते हैं कि कॉलेज टाइम में अनुराग और रविंद्र के पास फीस भरने के लिए भी पैसे नहीं थे और आज उनके कबाड़ी वाला आईडिया पर लोग करोड़ों रुपए इन्वेस्ट कर रहे हैं।
द कबाड़ीवाला के इन्वेस्टर्स की लिस्ट
- Swachhata Startup
- Bhushan Gajaria
- Vishal Thaker
- Suresh Parekh
- Naveen Reddy
- Bharat Mandloi
- Roots Ventures
बिजनेस प्लान- अब तक क्या किया और आगे क्या करेंगे
अनुराग असाटी का कहना है कि इन पैसों से भोपाल, इंदौर, नागपुर, रायपुर और लखनऊ के बाद अब मुंबई और दिल्ली जैसे भारत के सबसे बड़े शहरों में कबाड़ी का काम करना है। 2014 में इन्होंने केवल एक वेबसाइट बनाई थी। भोपाल में थोड़ा बहुत प्रचार किया था। कुछ लोगों ने रिस्पांस दिया और कबाड़ी का काम शुरू हो गया। आज भारत के 5 शहरों में 200000 लोग इनको अपना कबाड़ा बेचते हैं।
यह प्रोफ़ेसर और स्टूडेंट की जोड़ी है
इनकी पार्टनरशिप का कनेक्शन भी बड़ा जबरदस्त है। रविंद्र रघुवंशी एक प्राइवेट कॉलेज में प्रोफेसर थी और अनुराग असाटी उनके स्टूडेंट। यानी यह प्रोफ़ेसर और स्टूडेंट की जोड़ी है। प्रोफ़ेसर और स्टूडेंट की लव स्टोरी आपने बहुत सुनी होंगी परंतु यह एक प्रोफ़ेसर और स्टूडेंट की सक्सेस स्टोरी है।
मजेदार बात यह है कि इतनी सफलता मिलने के बाद भी इन्हें बहुत कम कंपटीशन फेस करना पड़ेगा, क्योंकि ज्यादातर स्टूडेंट्स के पेरेंट्स उन्हें इस कारोबार में उतरने की परमिशन ही नहीं देंगे।