मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमाश्री भारती ने एक बार फिर अपना नाम बदल लिया है। 30 साल पहले कथावाचक उमा भारती से सन्यासी साध्वी उमाश्री भारती बन गईं थी। अब उन्होंने अपना नाम दीदी मां रख लिया है। कहते हैं कि सन्यासियों का परिवार नहीं होता परंतु साध्वी उमाश्री भारती ने अपने सन्यास के 30 साल बाद परिवार से संबंध तोड़ने का ऐलान किया है।
उमाश्री भारती का धार्मिक एवं सन्यासी जीवन परिचय
उमाश्री भारती ने बताया कि उन्होंने सन 1977 में आनंदमई मां से प्रयाग के कुंभ में ब्रम्हचर्य की दीक्षा ली थी। फिर 17 नवंबर 1992 को उन्होंने सन्यास धारण कर लिया। अमरकंटक में सन्यास दीक्षा हुई। उन्होंने बताया कि उनके गुरु श्री विश्वेश्वर तीर्थ महाराज कर्नाटक के कृष्ण भक्ति संप्रदाय के उड़पी कृष्ण मठ के पेजावर मठ के मठाधीश थे। उमाश्री भारती ने ऐलान किया कि आप जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज उनके गुरु हैं। उन्होंने 17 मार्च 2022 को रहली जिला सागर में सार्वजनिक तौर पर माइक से घोषणा करके जो आज्ञा दी थी उसका पालन दिनांक 17 नवंबर 2022 से किया जाएगा।
नाम के अलावा कुछ भी नहीं बदला है
उमा भारती के बड़े भावुक और ऐतिहासिक ऐलान का लव्वोलुआब, उनके लेख के अंत में मिलता है। उन्होंने लिखा है कि, अपने माता-पिता के दिए हुए उच्चतम संस्कार, गुरु की नसीहत, जाति व कुल की मर्यादा, पार्टी की विचारधारा और देश के लिए मेरी जिम्मेदारी इससे मैं खुद को कभी मुक्त नहीं करूंगी।
सरल भाषा में कहें तो उन्होंने स्पष्ट किया है कि जातिवाद की राजनीति जारी रहेगी। भारतीय जनता पार्टी में सक्रियता भी जारी रहेगी। माता पिता के उच्चतम संस्कार यानी परिवार के प्रति प्रेम पहले की तरह बना रहेगा। कुल मिलाकर केवल नाम बदल गया है। 17 नवंबर के बाद उमाश्री भारती को उनके समर्थक दीदी मां के नाम से बुलाएंगे।