सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों को एक और मौका दिया- कर्मचारी पेंशन संशोधन योजना 2014

Bhopal Samachar
नई दिल्ली।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कर्मचारी पेंशन संशोधन योजना 2014 के विवाद का पटाक्षेप कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए ना केवल कर्मचारी पेंशन संशोधन योजना 2014 को कानूनी करार दिया है बल्कि ₹15000 वाली शर्त भी हटा दी और इसके लिए कर्मचारियों को एक और मौका दिया है। 

कर्मचारियों को राहत देते हुए कोर्ट ने कहा कि जिन कर्मचारियों ने कर्मचारी पेंशन योजना में शामिल होने के विकल्प का प्रयोग नहीं किया है, उन्हें ऐसा करने के लिए 6 महीने का और मौका दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने पेंशन फंड में शामिल होने के लिए 15,000 रुपये मासिक वेतन की सीमा को खत्म कर दिया है। जो वर्ष 2014 के संशोधन में अधिकतम पेंशन योग्य वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता मिलाकर) की सीमा 15,000 रुपये प्रति माह तय की गई थी और संशोधन से पहले अधिकतम पेंशन योग्य वेतन 6,500 रुपये प्रति माह था।

सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों को पेंशन योजना में शामिल होने का मौका दिया

प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि जिन कर्मचारियों ने पेंशन योजना में शामिल होने के विकल्प का इस्तेमाल नहीं किया है, उन्हें छह महीने के भीतर ऐसा करना होगा। पीठ ने कहा कि पात्र कर्मचारी जो अंतिम तारीख तक योजना में शामिल नहीं हो सके, उन्हें एक अतिरिक्त मौका दिया जाना चाहिए क्योंकि केरल, राजस्थान और दिल्ली के उच्च न्यायालयों द्वारा पारित फैसलों में इस मुद्दे पर स्पष्टता का अभाव था।

अतिरिक्त योगदान की शर्त अमान्य

बेंच ने 2014 की योजना में इस शर्त को भी अमान्य करार दिया है जिसमें कर्मचारियों को 15,000 रुपये से अधिक के वेतन पर 1.16 प्रतिशत का अतिरिक्त योगदान देना होगा। पीठ ने यह भी कहा कि सीमा से अधिक वेतन पर अतिरिक्त योगदान करने की शर्त स्वेच्छिक होगी, लेकिन यह भी जोड़ा कि निर्णय के इस हिस्से को छह महीने के लिए निलंबित रखा जाएगा ताकि अधिकारियों को धन जेनरेट करने में सक्षम बनाया जा सके।

जानें पूरा मामला
बता दें कि विवाद मुख्य रूप से ईपीएस-1995 के अनुच्छेद 11 में किए गए विवादास्पद संशोधनों से संबंधित है। संशोधन पेश किए जाने से पहले प्रत्येक कर्मचारी जो 16 नवंबर, 1995 को कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952 का सदस्य बना था, ईपीएस का लाभ उठा सकता था। ईपीएस-1995 के पूर्व-संशोधित संस्करण में अधिकतम पेंशन योग्य वेतन सीमा 6,500 रुपये थी। हालांकि, जिन सदस्यों का वेतन इस सीमा से अधिक है, वे अपने नियोक्ताओं के साथ-साथ अपने वास्तविक वेतन का 8.33% योगदान करने का विकल्प चुन सकते हैं। 

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