कुछ प्रक्रिया ऐसी होती हैं जिन्हें धर्म के नाम पर संचालित किया जाता है लेकिन वह इंसानों के लिए निर्धारित प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन करती है। इन प्रक्रियाओं को हम कुप्रथा भी कहते हैं।
समाज का एक वर्ग जो इन प्रक्रियाओं का नियमित संचालन करना चाहता है, धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के तहत संरक्षण प्राप्त करने का प्रयास करता है परंतु संविधान, सरकार को शक्ति प्रदान करता है कि वह कुप्रथाओं को प्रतिबंधित करें और ऐसे प्रयास को धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन नहीं माना जाएगा।
भारतीय संविधान अधिनियम, 1950 के अनुच्छेद 25 (2)(ख) की परिभाषा
राज्य सरकार को यह संवैधानिक अधिकार है कि वह उक्त अनुच्छेद के अनुसार उन समाजिक कुरीतियों एवं अंधविश्वासों का उन्मूलन कर सकते है जो राज्य की प्रगति में बाधा उत्पन्न करते हैं जैसे कि कोई धार्मिक छुआछुत, सामाजिक भेदभाव या सामाजिक कल्याण के लिए बाधा उत्पन्न करता है ऐसे धार्मिक कर्मकांडो पर राज्य सरकार विधि बनाकर रोक लगा सकती है, एवं यह कानून संवैधानिक होगा।