नैमिषारण्य तीर्थ स्थल की कथा, इतिहास महत्व एवं संक्षिप्त विवरण
सनातन धर्म में आस्था रखने वाले भारत के लगभग 75 करोड नागरिक श्री सत्यनारायण व्रत कथा के महत्व को भली-भांति जानते हैं और ज्यादातर लोग वर्ष में कम से कम एक बार यथाशक्ति श्री सत्यनारायण व्रत कथा का आयोजन भी करते हैं। लेकिन क्या आपने वह स्थान देखा है जहां सबसे पहले 88000 ऋषियों को श्री सत्यनारायण व्रत कथा सुनाई गई थी।
कलयुग के प्रारंभ में सबसे बड़ी धर्म संसद का आयोजन नैमिषारण्य में हुआ था
जैसा कि श्री सत्यनारायण व्रत कथा में प्रसंग आता है 'कलयुग के प्रारंभ में पवित्र तीर्थ स्थल नैमिषारण्य में 88000 ऋषि एकत्र हुए एवं उन्होंने श्रेष्ठ सूत जी से पूछा...'। इसमें बताया गया है कि कलयुग के प्रारंभ में सबसे बड़ी धर्म संसद का आयोजन नैमिषारण्य में हुआ था जहां मनुष्यों के कल्याण के लिए श्री सत्यनारायण व्रत कथा के रूप में आदर्श आचरण संहिता का निर्धारण किया गया था।
नैमिषारण्य तीर्थ - महर्षि वेदव्यास ने पुराणों की रचना की थी
यह पवित्र तीर्थ स्थल नैमिषारण्य, आज भी विद्यमान है। आनंद की बात है कि यह तीर्थ स्थल आज भी उतना ही शांत और निर्मल नजर आता है। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में आदि गंगा गोमती के तट पर नैमिषारण्य तीर्थ के दर्शन होते हैं। उल्लेख मिलता है कि यहीं पर महर्षि वेदव्यास ने पुराणों की रचना की थी।
नैमिषारण्य तीर्थ यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था भी है
भगवान ब्रह्मा जी द्वारा निर्धारित किए गए पवित्र तीर्थ स्थल नैमिषारण्य की कथा और महत्व काफी अधिक है और उसका वर्णन करने में पूरे ग्रंथ की रचना हो जाएगी परंतु अच्छी बात यह है कि दर्शन हेतु इस तीर्थ स्थल पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां पर तीर्थ यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था भी है और सबसे अच्छी बात यह है कि यह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के नजदीक है।
कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां
- अयोध्या से नैमिषारण्य की दूरी- 181 किलोमीटर
- नैमिषारण्य में रहने की जगह- आश्रम एवं धर्मशाला
- नैमिषारण्य में होटल- लग्जरी होटल नहीं है, विश्राम गृह मिलते हैं
- लखनऊ से नैमिषारण्य की दूरी- 93 किलोमीटर
- नैमिषारण्य के दर्शनीय स्थल- पूरा क्षेत्र तीर्थ स्थल है
- नैमिषारण्य कैसे पहुंचे- लखनऊ से
- मंदिर नैमिषारण्य- कई प्राचीन मंदिर स्थित है
- नैमिषारण्य गुरुकुल- देख सकते हैं
- सीतापुर से नैमिषारण्य की दूरी- 3 किलोमीटर
- कानपुर से नैमिषारण्य की दूरी- 130 किलोमीटर
- नैमिषारण्य का इतिहास- भगवान ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना से प्रारंभ होता है