भारतीय संविधान का अनुच्छेद 13 ऐसी सभी अधिनियम, विनियम, विधानों को अवैध कर देता है जो विधि नागरिकों को मिलने वाले मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है लेकिन विधानमंडल द्वारा भारतीय संविधान की अनुसूची नो(9) में बनाई गई विधि अगर मौलिक अधिकार का उल्लंघन भी करती है तो उस विधि को न्यायालय में चुनोती नहीं दी जा सकती है जानिए क्यों।
भारत आजादी से पहले अंग्रेजों का गुलाम रहा है एवं इनके शासन काल में किसानों को जमींदारो, साहूकारों आदि ताकतवर और प्रभावशाली लोगों के दबाब में कृषि करना पड़ता था एवं आजादी के बाद भी बड़े व्यापारी, जमींदार इन पर बहुत से दबाद बनाते थे इसलिए भारतीय संविधान अधिनियम, 1950 में प्रथम संशोधन 1951 में कर अनुच्छेद 31 (ख) जोड़ा गया जो अनुसूची 9 में बनी सभी विधियों का संरक्षण करेगी।
जानिए 9 वीं अनुसूची में कौन से विषय पर विधियां बनाई जा सकती है:-
भारतीय संविधान की अनुसूची 9 भारतीय संविधान के प्रथम संशोधन अधिनियम, 1951 में जोड़ी गई है। इसने विधानमंडल कृषि सुधार, भूमि सुधार, भूमि विधि, कोयला खान विधि, कुल मिलाकर मुख्य रूप से भूमि एवं कृषि संबंधित विषयों पर कानूनी बनाया जाता है।
अनुसूची 9 के विधान का संरक्षण
भारतीय संविधान की अनुसूची 9 के अंतर्गत बनाए गए विधान का संरक्षण भारतीय संविधान का अनुच्छेद 31(ख) करता है। यह कहता है कि कोई भी विधि जो विधानमंडल द्वारा अनुसूची 9 के विषय में बनाई गई है और वह किसी भी प्रकार से न्यायालय में निरस्त या शून्य करने के लिए चुनौती नहीं दी जा सकती है।
इस अनुच्छेद का प्रमुख उद्देश्य यह है कि पूंजीवादी, जमींदारों एवं साहूकारों द्वारा छोटे किसानों की कृषि, भूमि स्थिति में सुधार लाना एवं उक्त बड़े लोगों से इनका न्यायिक विरोध न उठाना।
नोट:- प्रारंभ में अनुसूची 9 के अंतर्गत 64 भूमि सुधार अधिनियम शामिल थे। वर्तमान में 284 भूमि एवं कृषि कानून समाहित है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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