अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है ओरछा। यह निवाड़ी जिले में आता है लेकिन झांसी उत्तर प्रदेश के निकट है। यहां भगवान श्रीराम को रामराजा सरकार कहा जाता है। मंदिर में उनकी मूर्ति को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। मंदिर की छत पर भारत का राष्ट्रध्वज लहराता है। सवाल यह है कि प्रभु श्री राम तो अयोध्या के राजा थे फिर उन्हें ओरछा का राजा क्यों माना जाता है।
ओरछा के रामराजा सरकार मंदिर की कथा
विक्रम संवत 1631 में ओरछा के नरेश मधुकर शाह बुंदेला की रानी गणेशकुंवर राजे श्री राम भक्त महिला थी। उनके आग्रह पर राजा ने भव्य चतुर्भुज मंदिर का निर्माण किया। भगवान श्री राम की चमत्कारी प्रतिमा को लेने के लिए रानी स्वयं अयोध्या पहुंची। सरयू नदी के किनारे लक्ष्मण केले के पास एक कुटी बनाकर साधना प्रारंभ कर दी। उनकी मनोकामना थी कि भगवान श्री राम की प्रतिमा उन्हें चमत्कारी रूप से प्राप्त हो। इन्हीं दिनों में गोस्वामी तुलसीदास जी अयोध्या में साधना कर रहे थे।
लंबे समय के बाद जब रानी को प्रतीत होने लगा कि उनकी साधना में अवश्य ही कोई चूक हो रही है और वह अपराध बोध से ग्रस्त हो गई। तो प्राण त्यागने के लिए सरयू नदी में प्रवेश किया। इसी नदी में रानी को भगवान श्री राम की प्रतिमा प्राप्त हुई। संत शिरोमणि के निर्देशानुसार पुष्य नक्षत्र में रानी ने अपने आराध्य श्री राम की प्रतिमा को लेकर अयोध्या से ओरछा की पदयात्रा प्रारंभ की।
इधर ओरछा में राजा ने भव्य चतुर्भुज मंदिर बनवा रखा था। रानी ने मूर्ति को लाकर अपने महल में रख दिया और सुनिश्चित किया गया कि शुभ मुहूर्त में भगवान राम की मूर्ति को ओरछा के भव्य चतुर्भुज मंदिर में स्थापित किया जाएगा। जब स्थापना का दिन आया तो भगवान राम की छोटी सी मूर्ति, जिसे रानी अपने हाथों में उठा लाई थी, अपने स्थान से टस से मस नहीं हुई।
यह देखकर राजा ने महल त्याग दिया। तभी से भगवान श्रीराम को ओरछा का राजा घोषित कर दिया गया। स्वतंत्रता के बाद भी भारत सरकार ने इस मान्यता को स्वीकार किया। यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहां राष्ट्रध्वज फहराया जाता है। भगवान श्री राम की प्रतिमा को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। यहां भगवान के विग्रह को रामराजा सरकार कहा जाता है।