भारत एवं मध्य प्रदेश के प्रमुख ऐतिहासिक शहरों में से एक नाम ग्वालियर शहर का भी आता है। यह एक प्राचीन शहर है। सन 493 से लेकर 1947 तक ग्वालियर पर कई राजाओं ने राज्य किया परंतु तोमर और सिंधिया आज भी ग्वालियर में रहते हैं और ग्वालियर को अपना राज्य बताते हैं। आइए इतिहास की किताब से पूछते हैं कि मूल रूप से ग्वालियर किसका है:-
ग्वालियर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
- छठवीं शताब्दी में राजपूत राजा सूरज सेन पाल कछवाह ने ग्वालिपा नाम के एक आयुर्वेद विशेषज्ञ संत के नाम को अमर करने के लिए ग्वालियर शहर की स्थापना की थी।
- राजपूत राजा सूरज सेन ने ग्वालियर के किले का निर्माण करवाया।
- राजपूत राजा सूरज सेन के 83 वंशजों ने ग्वालियर पर शासन किया।
- छठवीं शताब्दी से लेकर 12वीं शताब्दी तक राजपूत राजा सूरज सेन के वंश का शासन ग्वालियर पर रहा।
- 1375 में राजा वीर सिंह को ग्वालियर का शासक बनाया गया और उन्होंने तोमरवंश की स्थापना की।
- ग्वालियर के तोमरों ने ग्वालियर तथा इसके निकटवर्ती क्षेत्रों पर 14वीं से 16वीं शताब्दी तक शासन किया।
- ग्वालियर में तोमर शासनकाल को ग्वालियर का स्वर्णिम काल माना जाता है। कहा जाता है कि इस दौरान ग्वालियर में काफी विकास कार्य हुए और प्रजा में उत्साह एवं उत्सव देखने को मिले।
- राजा मान सिंह तोमर द्वारा करवाए गए निर्माण कार्य आज भी लोगों को आश्चर्यचकित करते हैं।
- 1730 के दशक में, सिंधिया ने ग्वालियर पर कब्जा कर लिया।
- 1754 में आसपास के सरदारों और जमीदारों के साथ मिलकर गोहद के जाट राजा भीम सिंह राणा ने सिंधिया को ग्वालियर से खदेड़ दिया।
- 1755 में मराठा सरदार विट्ठल शिवदेव विचुंरकर और मराठा सरदार महादजी सौतेले धोखे से गिरकर जाट राजा भीम सिंह मीणा को मार डाला।
- 1947 तक ग्वालियर पर सिंधिया राजवंश का शासन रहा। हालांकि इस अवधि में आधिकारिक रूप से ग्वालियर ब्रिटिश इंडिया की एक रियासत बन गया था लेकिन प्रशासनिक कामकाज सिंधिया राजवंश के हाथ में ही रहा।
उपरोक्त के अनुसार आप खुद निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि ग्वालियर एक्चुअल में किसका है और किसके नाम से जाना जाना चाहिए।