भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग में गुटबाजी, अनुशासनहीनता और राजनीति शायद कांग्रेस पार्टी से ज्यादा होती है। भोपाल में कलेक्टर ने एक उच्च माध्यमिक शिक्षक को जिला परियोजना समन्वयक का प्रभार सौंप दिया। अब उनके सीनियर उनके अंडर में काम करेंगे। नीमच में डिप्टी कलेक्टर को DPC का प्रभार सौंप दिया गया जबकि DPC की पोस्ट सहायक संचालक स्तर की है।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जिला परियोजना समन्वयक के पद से राजेश बाथम को हटाने के बाद, पद रिक्त चल रहा था। जिला शिक्षा अधिकारी को अस्थाई रूप से प्रभार सौंप दिया गया था। तभी से BHOPAL DPC पोस्ट के लिए जबरदस्त पॉलिटिक्स चल रही थी। महात्मा गांधी स्कूल भेल में पदस्थ उच्च माध्यमिक शिक्षक आरके यादव रेस जीत गए। कलेक्टर ने उन्हें DPC BHOPAL का प्रभार सौंप दिया। यहां तक तो फिर भी ठीक था परंतु अब पता चला है कि उनके अपने ऑफिस में वरिष्ठ प्राध्यापक एवं प्राध्यापक स्तर के अधिकारी मौजूद है। यानी अब एक जूनियर, अपने सीनियर को आदेश देगा।
इसी प्रकार मध्यप्रदेश के नीमच जिले में कलेक्टर ने जिला परियोजना समन्वयक का प्रभार डिप्टी कलेक्टर किरण सिंह अंजना को सौंप दिया। उन्होंने आदेश जारी होते ही पदभार भी ग्रहण कर लिया जबकि जिला परियोजना समन्वयक का पद सहायक संचालक स्तर का है और किरण सिंह अंजना राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं।
मध्य प्रदेश के 22 जिलों में डीपीसी के पद खाली है
प्रदेश में डीपीसी के करीब 22 जिलों में पद खाली है। इन पर भर्ती के लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने परीक्षा कराकर साक्षात्कार आयोजित किए थे। 22 पदों के विरुद्ध 28 सहायक संचालक, लेक्चरर के साक्षात्कार हुए है। राज्य शिक्षा केंद्र साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी कर चुका है, लेकिन नियुक्ति आदेश जारी नहीं कर रहा है। आरोप लगना स्वाभाविक है कि 22 पदों के विरुद्ध सिर्फ 28 दावेदार हैं, इसलिए राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं।