भोपाल। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के स्कूलों से भी बढ़िया सरकारी स्कूल बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम राइज स्कूल योजना की शुरुआत की थी। पूरे प्रोजेक्ट को सीएम खुद लीड कर रहे थे लेकिन पहली तिमाही परीक्षा में सीएम सनराइज स्कूल फेल हो गए हैं। इनका रिजल्ट 40% रहा। पब्लिक का पैसा पानी की तरह बहा दिया गया लेकिन शिक्षा का स्तर नहीं सुधरा।
CM RISE SCHOOL- कहीं शिक्षकों के पद खाली तो कहीं 10-10 अतिशेष
जोरशोर से शुरू हुए सीएम राइज स्कूलों में आधा सत्र बीतने के बाद भी न तो शिक्षा गति पकड़ सकी है न ही बच्चों को सुविधाएं मिल पा रही है, जबकि दावा था कि ये निजी स्कूलों की तरह बेहतर साबित होंगे। कई जिलों में सीएम राइज स्कूलों में अधिकतर पद खाली हैं। दूसरी ओर कई स्कूल ऐसे हैं, जहां 10-10 टीचर तक अतिशेष हैं।
MP NEWS- सीएम राइज योजना की कोई उपलब्धि नहीं फिर भी मध्यप्रदेश गौरव सम्मान
बस भी शुरू नहीं की जा सकी है। खास बात यह कि इन स्कूलों में अध्यापकों की पदस्थापना में ही पूरी तरह असफल रहने वाले अधिकारियों को मप्र गौरव सम्मान दे दिया गया। बता दें कि इन स्कूलों में टीचर्स और स्टाफ की पदस्थापना के लिए शिक्षा विभाग महीनों लंबी प्रक्रिया से गुजरा था। स्थापना शाखा में पदस्थ एडिशनल डायरेक्टर कामना आचार्य तक को बदलने की नौबत आई थी।
नियुक्ति के नियम बनाए लेकिन ट्रांसफर के नियम नहीं बनाएं
सीएम राइज स्कूल योजना की सबसे बड़ी गलती यह थी कि इसमें शिक्षकों और प्राचार्य की नियुक्ति के तो बड़े कड़े नियम बनाए गए लेकिन ऐसा कोई नियम कानून नहीं बना जिसके तहत उन स्कूलों में पहले से पदस्थ शिक्षकों एवं कर्मचारियों को किसी दूसरे स्थान पर ट्रांसफर करने का प्रावधान करता हो। नतीजा, स्कूलों में शिक्षक अतिशेष हो गए। इतनी भारी प्रशासनिक गलती करने वाले अधिकारियों को मध्यप्रदेश गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।
भोपाल जिले के सभी सीएम राइज स्कूलों का औसत रिजल्ट 40% के आसपास रहा। पूरे प्रदेश के 245 सीएम राइज स्कूलों का रिजल्ट इससे भी खराब बताया गया।