न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के UG- अंडर ग्रेजुएट फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स यदि अपनी पढ़ाई ब्रेक करना चाहते हैं तो मार्कशीट के अलावा सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि अभी सिस्टम अपडेट हो रहा है, और सारी प्रक्रियाएं ऑनलाइन नहीं हो पाएंगे इसलिए देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी की ओर से गाइडलाइन जारी की गई है। प्रोसीजर बताया गया है कि कैसे अप्लाई किया जा सकता है।
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी की ओर से बताया गया कि छात्र संबंधित कॉलेज के जरिए आवेदन कर सकेंगे। पहले उसे संबंधित कॉलेज में अप्लाय करना हाेगा। कॉलेज उसे अपने रिकॉर्ड में शामिल करेगा। उसके बाद वह अपनी तरफ से डिटेल यूनिवर्सिटी को भेजेगा। फिर विश्वविद्यालय अपने पास माैजूद रिकॉर्ड के आधार पर फर्स्ट ईयर पास हाेने का सर्टिफिकेट जारी करेगा। हालांकि अगले साल से यह प्रक्रिया ऑनलाइन हाे जाएगी, तब छात्र बिना कॉलेज की अनुमति के सीधे अप्लाय कर सकेंगे। लेकिन तब भी उन्हें लिखित में पढ़ाई छाेड़ने का ठाेस कारण बताना हाेगा। अगले साल जाे छात्र सेकंड ईयर में पढ़ाई छोड़ेंगे, उन्हें यूनिवर्सिटी की तरफ से डिप्लाेमा दिया जाएगा। वहां भी पढ़ाई छोड़ने का ठोस कारण बताना हाेगा।
नई शिक्षा नीति की पहली बैच (2021) में इतने छात्र थे
- 23 हजार 100 छात्र थे बीए फर्स्ट ईयर में।
- 10 हजार 400 छात्र थे बीएससी फर्स्ट ईयर में।
- 21 हजार 300 छात्र थे बीकॉम फर्स्ट ईयर में।
- 6 हजार 500 छात्र थे बीबीए व उसके स्पेशलाइजेशन काेर्स में।
- 12 हजार छात्र थे बीसीए, बीएचएससी सहित अन्य काेर्स में।
- बीच में छोड़ने के बाद दोबारा डिग्री पूरी करना चाहते हैं तो यह जानना जरूरी है
न्यू एजुकेशन पॉलिसी- UG डिग्री कोर्स में कितने साल का ब्रेक मिलता है
जाे छात्र पढ़ाई छाेड़ रहे हैं, उन्हें दाे या तीन साल में ही वापस लाैटना हाेगा। यानी आगे की पढ़ाई वापस शुरू करना हाेगी। अन्यथा वे भविष्य में काेर्स पूरा नहीं कर पाएंगे, क्याेंकि नई एजुकेशन पॉलिसी में तीन साल का यूजी डिग्री काेर्स अधिकतम छह साल में पूरा करना है। एक साल पूरा हाेने के बाद पढ़ाई छाेड़ने के बाद पांच साल बचेंगे।
न्यू एजुकेशन पॉलिसी- ब्रेक के बाद यदि स्टूडेंट नहीं लौटा तो क्या होगा
अगर छात्र अधिकतम तीन साल में नहीं लाैटा ताे वह आगे के दाे साल का काेर्स ही पूरा नहीं कर पाएगा। वहीं चार साल के ऑनर्स-रिसर्च डिग्री काेर्स के छात्राें काे अधिकतम आठ साल का वक्त मिल रहा है। ऐसे में अगर वे फर्स्ट ईयर में पढ़ाई छाेड़ते हैं ताे उन्हें भी अधिकतम चार साल में लाैटना हाेगा, ताकि आगे के तीन वर्ष की पढ़ाई वे तीन साल में पूरी कर सकें। दाेनाें ही मामलाें में छात्राें के सामने यह संकट रहेगा कि अगर आगे किसी वर्ष में वे फेल हाे गए ताे समय-सीमा खत्म हाे जाएगी।
एक्सपर्ट व्यू- पढ़ाई न छाेड़ें, 2 साल का डिप्लोमा तो जरूर करें
डॉ. नरेंद्र कुमार धाकड़, पूर्व कुलपति का कहना है कि किसी भी छात्र काे पढ़ाई नहीं छाेड़ना चाहिए। क्याेंकि नई एजुकेशनल पॉलिसी में तीन साल के ग्रेजुएशन की ताे वैल्यू बढ़ी है। साथ ही जाे चार साल के नए ग्रेजुएशन (ऑनर्स-रिसर्च) की शुरुआत हुई है, वह भी बहुत महत्वपूर्ण है। भविष्य में जॉब के लिए यह बेहद अहम साबित हाेगा।
हालांकि जाे छात्र मजबूरी में या जॉब की वजह से फर्स्ट ईयर के बाद पढ़ाई छाेड़ रहे हैं, उन्हें कुछ बाताें का खास ध्यान रखना हाेगा। उन्हें एक-दाे साल में ही नियमित छात्र के ताैर पर पढ़ाई दाेबारा शुरू करना हाेगी। ऐसे में फर्स्ट ईयर के उनके क्रेडिट स्काेर का महत्व ज्यादा रहेगा। हर छात्र काे कम से कम सेकंड ईयर की पढ़ाई पूरी करना चाहिए, ताकि डिप्लाेमा के बूते पर अच्छी नाैकरी मिल सके।