इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित DAVV (देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय) में पीएचडी प्रवेश परीक्षा से पहले फिर नए गाइड काे शामिल करने की प्रक्रिया शुरू होगी। फैकल्टी इसके लिए गूगल फॉर्म के जरिए पात्र ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। सभी विषयों के लिए आवेदन कर सकेंगे।
प्रवेश परीक्षा में इस बार लॉ, जर्नलिज्म और हिस्ट्री जैसे विषयों में एक से दो सीटें भी खाली रहने की संभावना कम है। जबकि एजुकेशन, अंग्रेजी सहित 15 से ज्यादा विषयों में सीटें बहुत कम हैं। अब अगर इन विषयों में नए गाइड जुड़ते हैं तो ही सीटें बढ़ेंगी। हालांकि पीएचडी प्रवेश परीक्षा में लगातार चौथी बार मैनेजमेंट व कॉमर्स में ही सबसे ज्यादा खाली रहेंगी। क्योंकि पिछले साल की परीक्षा के रिजल्ट के बाद भी इनमें 250 से ज्यादा सीटें खाली हैं। नए गाइड भी सबसे ज्यादा इन्हीं विषयों में जुड़ने की संभावना है।
यूनिवर्सिटी की पीएचडी सेल प्रभारी डॉ. अभय कुमार का कहना है फरवरी माह में प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। नए गाइड को मौका देने के लिए जल्द गूगल फॉर्म ओपन करेंगे। जो भी शोधार्थी इस बार प्रवेश परीक्षा में पास होंगे, उन्हें छह साल में पीएचडी पूरी करना हाेगी। इसमें छह माह के काेर्स वर्क की अवधि भी शामिल रहेगी। उचित कारण बताकर कुलपति से दाे साल अतिरिक्त समय भी मिल सकेगा। यह एक ही बार मिलेगा। यानी जाे शोधार्थी आठ साल में पीएचडी नहीं कर पाएंगे, वे अयोग्य हाे जाएंगे। महिला शाेधार्थियाें के लिए अतिरिक्त समय 4 साल का रहेगा। यह दाे-दाे वर्ष के लिए दाे बार मिल सकेगा।
2021 में लागू हुई नई एजुकेशन पॉलिसी में चार साल का ग्रेजुएशन करने के बाद (चाैथे साल 75 फीसदी अंक लाना जरूरी) अगर एक साल का पीजी(पाेस्ट ग्रेजुएशन) करते हैं ताे वे भी पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए पात्र माने जाएंगे। लेकिन यह नियम 2026 में ही लागू हो पाएगा। क्योंकि नई एजुकेशन पॉलिसी की वह पहली बैच जो चार साल ग्रेजुएशन और एक साल का पीजी करेंगी, वह 2026 में पास आउट होगी। हालांकि इन छात्रों को एक साल के पीजी काेर्स में 55 फीसदी अंक अनिवार्य लाना हाेंगे। यूजीसी ने नई गाइडलाइन में भी गेट व जेआरएफ क्लीयर छात्राें काे प्रवेश परीक्षा से छूट दी है। साथ ही कहा है कि इनके इंटरव्यू अलग से हाे सकेंगे।