नई दिल्ली। राजस्थान हाईकोर्ट ने 22 साल के एक लड़के के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज की गई पॉक्सो एक्ट की FIR को खारिज कर दिया। न्यायाधीश दिनेश मेहता ने कहा कि ऐसे मामलों में कोर्ट मूक दर्शक नहीं रह सकता। इसका सीधा प्रभाव दोनों के परिवार के साथ ही प्रेम प्रसंग के बाद उपजे बच्चे पर पड़ेगा। इन सभी को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज किया जाता है।
What is Pocso Act age limit
जोधपुर में 22 साल के एक लड़के के खिलाफ पोस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। उस पर आरोप था कि उसने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ फिजिकल रिलेशन बनाए जबकि गर्लफ्रेंड की उम्र 18 वर्ष से कम थी। इस रिलेशन के कारण लड़की गर्भवती हुई और उसने एक बच्चे को जन्म दिया। अस्पताल से सूचना मिलने पर पुलिस ने अपनी तरफ से मामला दर्ज किया था। लड़की एवं उसके परिवार वालों ने लड़के के खिलाफ FIR दर्ज कराने या किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने से इंकार कर दिया था।
How long is punishment for Posco- हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
विद्वान न्यायाधीश दिनेश मेहता ने फैसला सुनाते हुए कहा- 16 साल की लड़की को 22 साल के युवक से प्रेम हो गया। दोनों की अपरिपक्वता क्षणिक नासमझी और हवस भरी भावनाएं सामाजिक , नैतिक व कानून पर भारी पड़ी। इस मामले में शिकायत पुलिस ने अपनी तरफ से दर्ज की। लड़की या उसके परिजनों की तरफ से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई।
What is the punishment of Pocso act
लड़की ने पहले 161 व 164 के तहत दिए बयान के बाद कोर्ट के समक्ष भी स्वीकार किया कि उसने अपनी सहमति से याचिकाकर्ता के साथ संबंध बनाए और एक बच्चे का जन्म हुआ। लड़का व लड़की के माता-पिता अपने बच्चों की इस गलती को माफ कर लड़की के बालिग होने पर दोनों की शादी करने को तैयार है। यदि यह मामला आगे बढ़ता है तो तय है कि लड़के को कम से कम दस साल की सजा होगी। इसका सीधा प्रभाव लड़की व उसके नवजात पर पड़ेगा। इन सभी परिस्थितियों में याचिकाकर्ता के खिलाफ देवनगर पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर को निरस्त किया जाना न्याय के हित में होगा।