भारत में अपनी संस्कृति और शिक्षा की रक्षा कैसे करें, जानिए- Fundamental Rights

Bhopal Samachar
भारतीय संस्कृति इंद्रधनुषी संस्कृति हैं, यह विविधता में एकता का प्रतीक है। यहाँ सभी प्रकार के लोग निवास करते हैं, हिंदी, उर्दू, गुजराती, मराठी, तेलगू, कन्नड़, मलयालम, बंगला, उड़िया असमी भाषा बोलने वाले एवं विविध बेश-भूषा का संगम है। इसी लिए भारत में रहने वाले  लोगों को उनकी भाषा, लिपि, संस्कृति की रक्षा के लिए भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार प्रदान किया है जानिए।

भारतीय संविधान अधिनियम,1950 के अनुच्छेद 29 की परिभाषा

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 29 भारतीय नागरिकों को जो बहुसंख्यक मात्रा में अलग अलग भाषा, लिपि एवं संस्कृति को मानते हैं  उन्हें अपनी भाषा,लिपि (लिखावट),एवं संस्कृति की रक्षा करने का मौलिक अधिकार प्रदान करता है। यानी जो भी व्यक्ति किसी भी नागरिक की संस्कृति अथवा शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने की कोशिश करता है, माना जाता है कि वह, उस पीड़ित व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन कर रहा है। एवं इसी के आधार पर उसका दंड निर्धारित किया जाता है।

अतः साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं कि देश में रहने वाले बहुत से लोग को अलग अलग भाषा बोलते हैं, एवं जिनकी लिखावट(लिपि) भी भिन्न है एवं संस्कृति एवं रीति रिवाज भी भिन्न है, एवं उन व्यक्ति अपनी भाषा, लिपि एवं संस्कृति की रक्षा के लिए अनुच्छेद 29 के अंतर्गत मौलिक अधिकार प्राप्त है और यदि उनके मौलिक अधिकार का हनन होता है तो वह सुप्रीम कोर्ट तक याचिका दाखिल कर सकते हैं।। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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