भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष सभी व्यक्तियों को समानता का अधिकार देता है एवं सभी को विधिक संरक्षण प्रदान करता है। इसी प्रकार भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 सभी व्यक्तियों को स्वतंत्रता का अधिकार देता है। व्यक्ति को बोलने, रहने, व्यापार करने, व्यवसाय करने, कृषि करने आदि की स्वतंत्रता है। अगर सरकार द्वारा संपत्ति सुधार मामलों में कोई विधि ऐसे बनाई गई है जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 19 पर अतिक्रमण करती है तब क्या वह विधि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 के अंतर्गत अवैध होगी या नहीं जानिए महत्वपूर्ण अपवाद।
भारतीय संविधान अधिनियम,1950 के अनुच्छेद 31(क) की परिभाषा
राज्य की विधि निर्माण द्वारा किसी भी संपत्ति अधिकार का अर्जन कर लेता एवं वह विधि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 या अनुच्छेद 19 का उल्लंघन भी करती है तब ऐसी विधि को न्यायालय में निम्न आधार पर कि विधि असंगत है, अधिकार को छिनती है या शून्य है चुनौती नहीं दी जा सकती है।
साधारण शब्दों में कहे तो संविधान में इस अनुच्छेद का मुख्य उद्देश्य यह है कि देश में जमींदारी प्रथा को समाप्त कर पारित विधियों को न्यायालय की चुनोतियाँ से मुक्त रखना एवं इन विधि को आगे जाकर आर्थिक सुधार में शामिल करना इनका उद्देश्य है।
अनुच्छेद 31(क) की विधि मुख्य रूप से निम्न विषयों पर बनाई जा सकती है:-
1. राज्य द्वारा संपत्ति के किसी अधिकार का अर्जन।
2. राज्य द्वारा लोकहित में किसी संपत्ति का प्रबन्ध अपने हाथों में लेना।
3. दो या दो से अधिक निगमों को लोकहित में सम्मलित करना।
4. निगमों में हित रखने वाले व्यक्तियों के अधिकारों का परिवर्तन करने के लिए।
5. किसी खनिज, खनिज तेल से सम्बंधित किसी अग्रीमेंट, करार, पट्टे या लाइसेंस के आधार पर होने वाले किन्ही अधिकार के परिवर्तन के लिए निर्मित विधि। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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