आजादी के बाद सेंट्रल इंडिया यानी मध्य प्रदेश 4 हिस्सों में बंटा हुआ था। पार्ट-ए की राजधानी नागपुर थी। पार्ट-बी की दो राजधानियां ग्वालियर और इंदौर थी। पार्ट-सी की राजधानी रीवा थी। पार्ट-डी भोपाल में आजादी की लड़ाई चल रही थी। बाद में सीहोर जिले की तहसील बना। सवाल यह है कि सन 1956 में जब मध्य प्रदेश राज्य का गठन हुआ तब भी भोपाल को जिले का दर्जा नहीं था। फिर क्या कारण था कि भोपाल को राजधानी बनाया गया।
भोपाल के राजधानी बनने की ऐतिहासिक कहानी
सेंट्रल इंडिया के पार्ट-बी की दो राजधानियां ग्वालियर और इंदौर थी। बताने की जरूरत नहीं कि दोनों राजाओं की बीच में काफी तनाव था। दोनों अपने आप को एक दूसरे से ज्यादा बड़ा और महत्वपूर्ण मानते थे। यह तनाव इतना अधिक था कि भारत सरकार को भी ग्वालियर और इंदौर को आधी-आधी राजधानी बनाना पड़ा। जब राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो नागपुर महाराष्ट्र में चला गया इसलिए विषय ही खत्म हो गया लेकिन रीवा की अकड़ भी कम नहीं थी। आजादी के पहले राजा और आजादी के बाद नेता, परिस्थितियों में कोई खास परिवर्तन नहीं आया था। सबसे बड़ी बात यह थी कि ग्वालियर, इंदौर और रीवा के नेता अपने आप को राजा मानते थे और जनता को प्रजा।
जब भारत में राज्यों का पुनर्गठन हुआ और मध्य प्रदेश का नक्शा तैयार हुआ। तब राजधानी को लेकर विवाद खड़ा हो गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू ग्वालियर, इंदौर और रीवा किसी को राजधानी बनाना नहीं चाहते थे। आप केवल एक ही बड़ा शहर मौजूद था, जिसका नाम है जबलपुर। इसलिए जबलपुर को राजधानी बनाने का फैसला लिया गया। सब कुछ क्या हो गया था केवल औपचारिक घोषणा होना बाकी थी कि तभी क्षेत्र के बड़े और निर्विवाद नेता पंडित शंकर दयाल शर्मा, पंडित जवाहरलाल नेहरु से जाकर मिले।
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में एक ऐसा क्षेत्र है जो हर दृष्टि से राजधानी के लिए उचित है। थोड़ा विकसित है और सरकार अपने हिसाब से टाउन एंड कंट्री प्लानिंग बना सकती है। भारत में किसी राज्य की एक आदर्श राजधानी बना सकती है। उन्होंने बताया कि भोपाल का मौसम काफी अच्छा होता है। ना ज्यादा गर्मी, ना ज्यादा सर्दी और ना ही बाढ़ आती है। इसलिए साल भर सरकारी कामकाज आसानी से चल सकता है। नवाब की कुछ प्रॉपर्टी है जिसमें सरकारी ऑफिस को ले जा सकते हैं और बहुत सारी जमीन खाली पड़ी है जिसमें अपनी योजना के अनुसार डेवलपमेंट किया जा सकता है। सबसे खाएगी मध्य प्रदेश का जो नक्शा बना है उसमें भोपाल केंद्र में आता है। सबके आने जाने के लिए समान दूरी रखता है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू को यह बात जंच गई। इसीलिए उन्होंने भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी घोषित किया। यह भारत की एकमात्र तहसील है जो राजधानी बनी और फिर जिले का दर्जा मिला। पंडित जवाहरलाल नेहरू को भोपाल इतना पसंद आया कि उन्होंने तमाम चुनौतियों के बावजूद BHEL की स्थापना भोपाल में की ताकि भोपाल आत्मनिर्भर बन सके।