भारत की प्राचीन कथाओं में बताया जाता है कि सतयुग में पृथ्वी पर मनुष्य के जैसे दिखाई देने वाले कुछ ऐसे प्राणी थे जो अपना रूप, रंग और आकार बदल सकते थे। हवा में उड़ सकते थे। कथाओं में ऐसे प्राणियों को राक्षस कहा गया है। यह प्राणी मनुष्य को नुकसान पहुंचाते थे। इसी प्रकार के प्राणियों को नष्ट करने के लिए भगवान श्री हरि विष्णु ने श्री राम अवतार लिया था। आइए साइंस के नजरिए से समझने की कोशिश करते हैं कि क्या सचमुच ऐसा कभी हो सकता है:-
Indonesian mimic octopus- रावण के मामा और बहन की तरह रूप बदल सकता है
समुद्र की गहराइयों में एक प्राणी पाया जाता है जिसे वैज्ञानिक Indonesian mimic octopus के नाम से पुकारते हैं। इस प्राणी की खास बात यह है कि यह अपने आसपास रहने वाले 15 प्रकार के समुद्री जीवो के जैसा रूप धारण कर सकता है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा अपनी कथाओं में बताया गया है। रावण का मामा मारीच जो सुनहरा हिरण बन गया था या फिर रावण की बहन शूर्पणखा, जिसने एक बेहद सुंदर स्त्री का रूप धारण कर लिया था।
Chameleon of the sea- किसी भी पेड़ या पत्थर जैसा रूप धारण कर सकती है
सिर्फ इतना ही नहीं। समुद्र की गहराइयों में एक ऐसी मछली पाई जाती है जो किसी भी बैकग्राउंड के साथ अपना रंग मैच कर लेती है। शरीर में थोड़े से स्ट्रक्चर बदल देती है। इसके कारण आप पहचान ही नहीं सकते कि समुद्र के अंदर एक पौधा या फिर कोई पत्थर असल में एक मछली है। वैज्ञानिक इस मछली को Chameleon of the sea के नाम से पुकारते हैं। भारतीय कथाओं में ऐसे प्राणियों का उल्लेख है। इनका उपयोग जासूसी के लिए किया जाता था। यह राजाओं के दरबार में कभी कोई मूर्ति बनकर अथवा कोई पिलर बनकर खड़े हो जाते थे।
Paradise tree snake- शक्तिमान की तरह उड़ान भर सकता है
शक्तिमान तो एक काल्पनिक कॉमिक पात्र है, परंतु प्राचीन कथाओं में भी ऐसे कई प्राणियों का उल्लेख है जो शक्तिमान की तरह उड़ान भरते थे। अमेजॉन के जंगल में आज भी एक ऐसा सांप पाया जाता है, जो हवा में उड़ सकता है। इसका आकार 3 फीट होता है और यह 300 फिट तक की उड़ान भर सकता है। वैज्ञानिक इसे Paradise tree snake के नाम से पुकारते हैं।
आज जबकि एलन मस्क चांद पर इंसानों के रहने के लिए शहर बसाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। वहां की मिट्टी से ईटें बनाने में सफल हो गए हैं। पानी और ऑक्सीजन का प्रबंध कर रहे हैं। गुरुत्वाकर्षण की समस्या का समाधान निकाल रहे हैं। क्यों ना यह मान लिया जाए कि सतयुग में भी ऐसे ही कुछ प्रोजेक्ट पर काम चलता होगा। जब ऐसे प्रोजेक्ट मनुष्यों के लिए हानिकारक होने लगे तो उन सभी को बंद करने का निर्णय लिया गया और यह जिम्मेदारी अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र एवं युवराज श्रीराम ने निभाई।