भोपाल। तालाब और जंगल की जमीन पर कंस्ट्रक्शन तो होता जा रहा है परंतु जानवर, नगर निगम की सीमाओं को नहीं मानते। टाइगर ने पिछले दिनों मौलाना आजाद नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के कुछ इलाके को अपनी टेरिटरी में शामिल कर लिया है। वह चला गया है और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में बाउंड्री वॉल भी रिपेयर कर दी है परंतु खतरा टला नहीं है क्योंकि टाइगर ने अब तक यह नहीं माना है कि मैनिट भोपाल का जंगल उसका नहीं है।
सबसे पहले पढ़िए टाइगर अपनी टेरिटरी कैसे बनाता है- General knowledge
हर टाइगर का अपना एक इलाका होता है। या तो वह किसी पुराने टाइगर के मर जाने पर या फिर किसी लड़ाई में जीत कर उसके इलाके पर कब्जा कर लेता है परंतु इन दोनों के अलावा वह स्वतंत्र रूप से भी अपना इलाका तैयार करता है। यूरिन स्प्रे के जरिए वह अपने इलाके की सीमाएं निर्धारित करता है। एक टाइगर न्यूनतम 20 स्क्वायर किलोमीटर और अधिकतम 80 स्क्वायर किलोमीटर का इलाका बनाता है।
MANIT और TIGER- भविष्य की संभावना क्या है
MANIT BHOPAL के जंगलों में टाइगर ने लगभग 15 दिन तक मूवमेंट किया और फिर अपनी मर्जी से गया। काफी हद तक संभावना है कि उसने MANIT BHOPAL के जंगल को अपनी टेरिटरी में शामिल कर लिया है। उसके जाने के बाद फॉरेस्ट डिपार्टमेंट वालों ने एक बाउंड्री बना दी परंतु यह बाउंड्री इस बात को घोषित नहीं करती कि MANIT BHOPAL का जंगल टाइगर की टेरिटरी नहीं है।
टाइगर साल में एक बार अपने राज्य की सीमाओं का निरीक्षण करता है। यदि अगली बार फिर से बाउंड्री क्रॉस करके टाइगर MANIT BHOPAL के जंगल में आ गया तो एक नई बाउंड्री बनानी पड़ेगी जो टाइगर के लिए नहीं स्टूडेंट्स के लिए होगी। MANIT BHOPAL का जंगल टाइगर के नाम करना पड़ेगा, वैसे भी जंगल जानवरों की संपत्ति होते हैं।