जबलपुर। ट्राइबल डिपार्टमेंट द्वारा अभ्यावेदन के आधार पर नियुक्ति करने के बाद मेरिट के आधार पर नियुक्ति आदेश को निरस्त करने के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला शिक्षक को राहत प्रदान करते हुए उनके टर्मिनेशन लेटर को स्टे कर दिया है एवं नोटिस जारी करके डिपार्टमेंट से जवाब मांगा है।
श्रीमती टीना शाक्या की नियुक्ति माध्यमिक शिक्षक (हिंदी) के पद पर दिनाँक 06/04/22 को संभागीय उपायुक्त अनुसूचित जाति एवं जनजातीय कार्य, नर्मदापुरम संभाग द्वारा जारी आदेश से की गई थी। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, आमला, जिला बैतूल में उनके द्वारा कार्यभार ग्रहण कर कार्य प्रारंभ कर दिया गया था। प्रारंभिक सूचि में श्रीमती शाक्या, अतिथि/एससी/महिला में प्रतीक्षा सूची मे थी। वेरिफिकेशन के समय, गेस्ट फैकल्टी अनुभव प्रमाण पत्र प्राचार्य द्वारा जारी नही किये जाने के कारण एवं श्रीमती शाक्या द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन पर विचार कर उनकी नियुक्त एससी/महिला कैटेगरी में समिति की अनुशंसा अनुसार की गई थी।
दिनाँक 19/07/22 को उपायुक्त द्वारा श्रीमती शाक्या की नियुक्ति इस आधार पर निरस्त कर दी गई थी कि, उनकी प्रोफ़ाइल पंजीयन अतिथि/एससी/महिला कैटेगिरी में हुआ था। वर्तमान कैटेगरी में उनकी मेरिट नीचे है।
श्रीमती शाक्या द्वारा, संभागीय उपायुक्त अनुचित जाति एवं जनजातीय कार्य, नर्मदापुरम संभाग के नियुक्ति निरस्त करने वाले आदेश दिनाँक को 19/07/22 को हाई कोर्ट जबलपुर के समक्ष चुनौती दी गई थी।
स्टे के प्रश्न पर, उनकी ओर से उपस्थित उच्च न्यायालय के वकील श्री अमित चतुर्वेदी द्वारा कोर्ट को बताया गया कि अपितु, याचिकाकर्ता का पंजीयन अतिथि कैटेगिरी में किया गया था, लेकिन प्रिंसिपल द्वारा ऑनलाइन अनुभव अपडेट नही होने के कारण, एवं प्रस्तुत अभ्यावेदन पर विचार कर समिति की सिफारिश पर रिक्त पद पर नियुक्ति की गई थी। अनुभव जारी नही किए जाने की त्रुटि विभाग की थी।
नियुक्ति निरस्त करने का आदेश, नियुक्ति आदेश की शर्तों एवम प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है। याचिकाकर्ता को बिना सुनवाई का अवसर दिए नियुक्ति निरस्त की गई है। उच्च न्यायालय जबलपुर ने संज्ञान लेते गए, ट्राइबल डिपार्टमेंट को नोटिस जारी कर, शिक्षक की सेवा समाप्ति पर रोक लगा दी है। अर्थात नियुक्ति निरस्तगी को स्टे कर दिया है।