भोपाल। मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल का विस्तार सुनिश्चित किया जा चुका है। चुनावी साल है इसलिए कई प्रकार के संतुलन बनाए जाएंगे। कुछ नए विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा और कुछ पुराने मंत्रियों को मंत्री परिषद से बाहर किया जाएगा। आइए पढ़ते हैं कि राजनीति के पंडितों के अनुसार किसके अंदर जाने और किसके बाहर आने के योग बन रहे हैं:-
इन विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है
- संजय पाठक कटनी विधायक- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ जबरदस्त बॉन्डिंग है। प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा बहुत पसंद करते हैं। विधानसभा चुनाव प्रचार में काफी उपयोगी साबित होंगे, क्योंकि मध्य प्रदेश के सबसे अमीर विधायक है।
- राजेंद्र शुक्ला रीवा- मध्य प्रदेश के अंदर विंध्य प्रदेश, इतिहास के साथ-साथ राजनीति का मुद्दा बन गया है। आदिवासी और ओबीसी प्रेम के कारण सरकार ने ब्राह्मण समाज का काफी नुकसान कर दिया है। संतुलन के लिए ब्राह्मण नेता के रूप में राजेंद्र शुक्ला को शामिल किया जा सकता है।
- शरदेंदु तिवारी- यदि किसी कारण से राजेंद्र शुक्ला को मंत्री नहीं बनाया जा सका तो शरदेंदु तिवारी उनका विकल्प होंगे।
- विष्णु खत्री भोपाल- अनुसूचित जाति के नेता है। चुनाव से पहले जातीय संतुलन के लिए शामिल किया जा सकता है।
- रामेश्वर शर्मा भोपाल- शिवराज सिंह चौहान वचन दे चुके हैं। विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर बनाकर दावेदारी भी पक्की हो चुकी है। धाकड़ नेता हैं और फ्रीस्टाइल में बयानबाजी करते हैं। लंबे समय से अनुशासन में रहते हुए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
इन विधायकों के योग भी प्रबल हैं
- रमेश मेंदोला इंदौर- कैलाश विजयवर्गीय के कोटे से मंत्रिमंडल में एक भी विधायक नहीं है, इसलिए रमेश मेंदोला के योग इस बार काफी प्रबल है।
- रामपाल सिंह रायसेन- शिवराज सिंह की डायरी में मिनिस्टर इन वेटिंग की लिस्ट में टॉप थ्री में चल रहे हैं। एक भी मौका मिला तो शपथ ग्रहण करवा दी जाएगी।
- यशपाल सिंह सिसौदिया- नरेंद्र सिंह तोमर के कोटे से मंत्री बनाए जा सकते हैं। चुनाव से पहले नरेंद्र सिंह तोमर को संतुष्ट करना जरूरी है। सिंधिया के 10 हैं तोमर का एक तो होना चाहिए।
इन मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर किया जा सकता है
- विजय शाह वन मंत्री- हटाए जा सकते हैं क्योंकि इनके खिलाफ EOW की जांच चल रही है और चुनाव में दाग अच्छे नहीं होते।
- प्रद्युम्न सिंह तोमर ऊर्जा मंत्री- हटाए जाने की प्रबल संभावना है क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय से एक कागज आया है।
- इंदर सिंह परमार स्कूल शिक्षा मंत्री- कंप्यूटर-टीवी घोटाले में भले ही लोक शिक्षण संचालनालय ने खबर को गलत बता दिया हो परंतु संगठन से कुछ भी छुपा नहीं है। चुनाव में तनाव नहीं चाहिए इसलिए हटाए जा सकते हैं।
- मोहन यादव उच्च शिक्षा मंत्री- आत्ममुग्धता के कारण हटाए जा सकते हैं। अपने आप को महान नेता मानते हैं जिसने नई शिक्षा नीति लागू की परंतु सरकारी कॉलेजों के अतिथि विद्वान नाराज हैं और विद्यार्थियों में सरकार के प्रति असंतोष पैदा कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद नाराज है, और भाजपा की सरकार में परिषद से पंगा लेकर कोई शिक्षा मंत्री तो नहीं बन सकता।
- तुलसी सिलावट वैसे तो सिंधिया समर्थक विधायक दल के नेता हैं परंतु पार्टी सूत्रों का कहना है कि कारम बांध मामले में प्रधानमंत्री की नाराजगी सामने आई थी। इस आधार पर मंत्रिमंडल से बाहर किया जा सकता है और फिर महाराज साहब भी मना नहीं कर पाएंगे।
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- विश्वास सारंग उच्च शिक्षा मंत्री- राष्ट्रीय महासचिव श्री अनिल जैन के आशीर्वाद से मंत्री बने थे। खास बात यह है कि इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इच्छा शामिल नहीं थी। अब क्योंकि श्री अनिल जैन पावर में नहीं है इसलिए विश्वास सारंग को संगठन का काम लिया जा सकता है। इसके कारण भोपाल के कोटे से एक कुर्सी खाली होगी जो रामेश्वर शर्मा को मिल सकती है।
- राज्यमंत्री सुरेश धाकड़ और ब्रजेंद्र सिंह यादव को खराब प्रदर्शन के चलते हटाए जाने की पूरी संभावना है।
- उषा ठाकुर संस्कृति मंत्री को हटाया जा सकता है क्योंकि उन्होंने कोई खास उपलब्धि प्राप्त नहीं की और फिर वैसे भी यह मंत्रालय उनकी पहचान के विपरीत है। उनके स्थान पर महेंद्र हार्डिया या मालिनी गौड़ को शामिल किया जा सकता है।
- यदि मोहन यादव को हटाया जाता है तो उनकी जगह श्रीमती कृष्णा गौर को उच्च शिक्षा मंत्रालय दिया जा सकता है।
- यदि विजय शाह को हटाया जाता है तो जातीय संतुलन के लिए नंदनी मरावी जबलपुर को कैबिनेट में जगह मिलेगी।
- अजय विश्नोई का टिकट काटना है तो उन्हें कैबिनेट में शामिल करके चुनावी राजनीति से रिटायर किया जा सकता है।
भाजपा के यह विधायक भी दौड़ में शामिल
जजपाल सिंह जज्जी गुना, हरिशंकर खटीक जतारा, मनोज चौधरी, महेंद्र हार्डिया, सुलोचना रावत, चेतन कश्यप।