भोपाल। सरकारी कर्मचारी कुछ भी कर सकता है, क्योंकि उसके अपराध को अपराध नहीं माना जाता। मामला शिवपुरी जिले के बैराड़ का है। सरकारी कर्मचारियों ने एक विवाहित महिला को कुंवारी मां घोषित कर दिया इसलिए घोषित कर दिया क्योंकि उसके परिजनों ने रिश्वत देने से इंकार कर दिया था।
कर्मचारी अधिकार पूर्वक रिश्वत मांगते हैं, ना मिले तो गुस्सा हो जाते हैं
बैराड़ जिला शिवपुरी के निवासी धीरज ओझा का विवाह रश्मि के साथ हुआ था। दिनांक 29 अक्टूबर 2022 को धीरज की पत्नी रश्मि ने उनकी पहली संतान को जन्म दिया। पहले ऐसे खुशी के अवसर पर सरकारी कर्मचारी मिठाई मांगते थे और परिवार के लोग मिठाई के बदले मिठाई खरीदने के लिए कुछ रुपए दे दिया करते थे, लेकिन अब अधिकार पूर्वक कमीशन मांगते हैं। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ।
रिश्वत के लिए इस तरह के अपराध करते हैं सरकारी कर्मचारी
धीरज ने अनमोल पोर्टल पर एंट्री के लिए किसी भी प्रकार की फीस और रिश्वत देने से मना कर दिया। नतीजा रश्मि के प्रसव की तारीख बदल दी गई। जो तारीख दर्ज की गई उसके हिसाब से रश्मि ने शादी से पहले बच्चे को जन्म दे दिया है। यहां तक कि उसका एड्रेस भी बदल दिया गया। उसे शिवपुरी के राजगढ़ जिले का निवासी बता दिया। सब कुछ इसलिए किया ताकि उसे सरकारी योजना का लाभ ना मिले।
शिवपुरी में रिश्वतखोर कर्मचारियों को BM से लेकर DM तक का संरक्षण
इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कर्मचारी इस तरह के डॉक्यूमेंटल क्राइम इसलिए कर पाते हैं क्योंकि उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त होता है। यह मामला जब ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के पास पहुंचा तो उसने अनमोल पोर्टल पर किसी भी प्रकार का संशोधन करने से इंकार कर दिया। या नहीं स्पष्ट मैसेज दिया कि ANM ही भाग्य विधाता है। ऊपर कहीं कोई सुनवाई नहीं करेगा।
सीएम हेल्पलाइन में तीन बार शिकायत की गई। तीनों बार गलत जवाब के साथ शिकायत को बंद कर दिया गया। सीएम हेल्पलाइन की मॉनिटरिंग करने का काम कलेक्टर का है, लेकिन कर्मचारियों को पता है कि उनका डॉक्यूमेंटल क्राइम पकड़ा भी जाएगा तब भी कलेक्टर कार्यवाही नहीं करेंगे। जैसा कि इस मामले में हो रहा है।