भोपाल। पिछले कुछ दिनों में मिट्टी के चूल्हे पर बना सात्विक भोजन और गांव के देसी कल्चर में छुट्टियां बिताने का चलन काफी बढ़ गया है। मध्य प्रदेश में आने वाले विदेशी पर्यटक भी ग्रामीण परिवेश समय गुजारना चाहते हैं। पर्यटन विभाग में व्हाट्सएप पहले इनके लिए टूरिस्ट विलेज बनाए थे। अब खजुराहो में एक फाइव स्टार आदिवासी गांव बताया जा रहा है।
छतरपुर के प्रशासनिक सूत्रों का कहना है किजनवरी 2023 में इंदौर में होने वाले प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसका वर्चुअल शुभारंभ करेंगे। इस गांव का नाम आदिवर्त रखा गया है। इसमें भील, गोंड, भारिया, कोल, सहरिया, बैगा और कोरकू जनजाति के रहवास (कच्ची झोपड़ियां) बनाए जा रहे हैं। यहां इनकी पूरी संस्कृति है। उपकरण से लेकर वाद्य यंत्र तक रखा जा रहा है।
3.5 एकड़ में पहले इस अत्याधुनिक आदिवासी गांव का निर्माण एक सितंबर 2021 से शुरू किया गया था। जनजातीय लोककला संग्रहालय के क्यूरेटर अशोक मिश्रा बताते हैं करीब सात करोड़ की लागत से निर्माण कार्य 80 प्रतिशत से ज्यादा पूरा हो चुका है। यहां एक एग्जीबिशन में लगाई गई है। प्रत्येक माह में 15 दिन जनजाति कलाकार यहां अपनी कला का प्रदर्शन कर पाएंगे। वे सीधे ग्राहक को अपने उत्पाद भी बेच पाएंगे।
इस गांव में आदिवासी रहेंगे नहीं लेकिन पैसा कमाएंगे
आदिवर्त जनजातीय कला राज्य संग्रहालय के प्रबंधक भास्कर पाठक ने बताया प्रदेश में सात जनजातियों में पांच जनजाति नर्मदा नदी के किनारे बसती हैं। पानी से इनका गहरा नाता है। ऐसे में यहां दीवारों पर मां नर्मदा की जीवंत कथा पेंटिंग के माध्यम से उकेरी जाएगी।
गोंड जनजाति से आने वाली पद्मश्री दुर्गाबाई व्योम नर्मदा की कथा बना रही हैं। गोंड चित्रांकन में उद्गम से लेकर नर्मदा के प्रमुख घाट रहेंगे। भील जनजाति की पद्मश्री भूरी बाई खुद 24 पेंटिंग के माध्यम से अपनी जीवन कहानी दर्शाएंगी। राष्ट्रीय तुलसी सम्मान से सम्मानित तिलकराम नायलोन की रस्सी से शाजा का वृक्ष बना रहे हैं। जनजातियों के लिए यह वृक्ष बरगद और पीपल की तरह पूज्यनीय होता है।