जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक महिला कर्मचारी की याचिका का पटाक्षेप करते हुए स्पष्ट किया कि यदि कर्मचारी ने विभाग से अनुमति प्राप्त करके किसी कोर्स में एडमिशन लिया है तो उसे शैक्षणिक अवकाश का अधिकार स्वत: ही प्राप्त हो जाता है, उसके आवेदन को नामंजूर नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ता जिला चिकित्सालय, उमरिया में पदस्थ नर्सिंग आफिसर नम्रता मिश्रा की ओर से अधिवक्ता शंकर प्रसाद सिंह ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि मूलत: शिवनगर, रीठी, जिला कटनी निवासी याचिकाकर्ता नर्सिंग आफिसर के पद पर संतोषजनक सेवाएं दे रही है। वह मास्टर आफ पब्लिक हेल्थ या डिप्लोमा इन हास्पिटल मैनेजमेंट का दो वर्ष का कोर्स करके अपनी शैक्षणिक योग्यता में इजाफा करना चाहती है।
इसके लिए उसने सिविल सर्जन, जिला अस्पताल, उमरिया को अभ्यावेदन दिया था। जिस पर विचार करने के बाद अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया। जिसमें लिखा था कि यदि अपेक्षित कोर्स के लिए याचिकाकर्ता का चयन होता है, तो संस्था को किसी तरह की आपत्ति नहीं होगी लेकिन जब कोर्स के लिए चयन हो गया, तो शैक्षणिक अवकाश के लिए आवेदन किया था उसे निरस्त कर दिया गया।
इसीलिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। विद्वान न्यायमूर्ति ने याचिका का इस निर्देश के साथ पटाक्षेप कर दिया कि नर्सिंग आफिसर महिला को उच्च शिक्षा के लिए शैक्षणिक अवकाश हासिल करने का पूरा अधिकार है। लिहाजा, आयुक्त स्वास्थ्य संचालनालय, स्वास्थ्य सेवाएं उसके अभ्यावेदन का 10 दिन के भीतर निराकरण करें।