भोपाल। इस प्रकार की खास बात बहुत कम पॉलीटिकल लीडर्स में देखने को मिलती है। शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर बड़ी राजनैतिक सफलता हासिल की है। राजधानी में हजारों के साथ उनके खिलाफ आंदोलन करने के लिए एकत्रित हुए परंतु इससे पहले कि वह सड़कों पर उतर पाते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गए और मंच से आंदोलनकारियों को संबोधित किया। कुछ ही देर में पूरा आंदोलन एक किसान सम्मेलन में तब्दील हो गया।
मध्य प्रदेश के किसान सरकार से नाराज हैं। पिछले 5 सालों में ऐसा बहुत कुछ हुआ है जो किसानों को सरकार के प्रति निराश कर रहा है। भारतीय किसान संघ ने किसानों की नाराजगी को सरकार तक पहुंचाने के लिए राजधानी भोपाल में बड़े आंदोलन का ऐलान किया। राजधानी में सरकार के खिलाफ खिलाफ प्रदर्शन के लिए निर्धारित ठिकानों पर नहीं बल्कि एमबीएम कॉलेज में एक बड़ा सा पंडाल लगाया गया जिसमें हजारों किसान एकत्रित हुए।
किसानों के आक्रोश को व्यक्त करते हुए किसान संघ के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य नानजी आकले ने कहा- मैं जैसा समझता था वैसा मध्यप्रदेश का किसान सुखी नहीं है, दुखी है। ये दुर्भाग्य की बात है। ये दुर्भाग्य मध्यप्रदेश में शासनकर्ताओं की वजह से है। ये उनके निकम्मेपन का उदाहरण है। मध्यप्रदेश सरकार जिंदा है तो दिखाए।
किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष आंजना ने कहा, किसानों की समस्याओं के लिए राजनेता और अधिकारी दोनों जिम्मेदार हैं। अधिकारियों को ये नहीं पता कि आलू जमीन के नीचे लगता है या ऊपर। सरकार कलेक्टर, एसडीएम को गांवों में भेजे। कलेक्टर गांव में जब तक रुकेंगे नहीं, समस्या हल नहीं होगी।
इस तरह के आंदोलनों में आंदोलनकारियों को मोटिवेट करने के बाद अक्सर नेता सीएम हाउस के घेराव के लिए आगे बढ़ते हैं लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, उल्टा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद आंदोलनकारियों के बीच मंच पर पहुंच गए। किसानों ने 18 सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा।
इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आंदोलनकारियों को संबोधित करना शुरू किया। उन्होंने विश्वास दिलाया कि यह सरकार किसानों की सरकार है और किसानों के लिए सब कुछ किया जाएगा जो किसी भी अच्छी सरकार को करना चाहिए। थोड़ी सी देर में किसानों का आंदोलन, किसानों के सम्मेलन में तब्दील हो गया। शिवराज सिंह का जादू एक बार फिर चला और सब कुछ सामान्य हो गया।
सनद रहे कि एक घटनाक्रम ऐसा भी हुआ था जब किसानों ने पूरी राजधानी का ट्रैफिक जाम कर दिया था। बड़ी तनावपूर्ण स्थिति बन गई थी।