मनीष शर्मा, ग्वालियर। डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) प्रवेश परीक्षा को लेकर कई महीनों से चला आ रहा असमंजस खत्म हो गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा गाइडलाइन जारी कर दी गई है जिससे स्पष्ट हो गया है कि यूनिवर्सिटी अपने लेवल पर एंट्रेंस एग्जाम कंडक्ट करेंगी।
उल्लेखनीय है कि यूजीसी की गाइडलाइन आने से पहले तक कहा जा रहा था कि पीएचडी में एडमिशन के लिए भी इस बार एक कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का आयोजन किया जाएगा। इसमें पार्टिसिपेशन करने के बाद ही यूनिवर्सिटी अलॉट होगी। इस समाचार से कई कैंडीडेट्स चिंता में पड़ गए थे क्योंकि पीएचडी करने के लिए वह अपने शहर से बाहर जाना नहीं चाहते थे।
पीएचडी में एडमिशन के लिए नई गाइडलाइन के तहत शर्तें
नई गाइडलाइन में कहा गया है कि जो छात्र नई शिक्षा नीति से पढ़ाई कर रहे हैं, वे चार साल के ग्रेजुएशन के बाद (चौथे साल 75 फीसदी अंक लाना जरूरी) अगर एक साल का पीजी (पोस्ट ग्रेजुएशन) करते हैं तो भी पीएचडी प्रवेश परीक्षाा के लिए पात्र माने जायेंगे। उन्हें एक साल के पीजी कोर्स में 55 फीसदी अंक लाना अनिवार्य है। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद इसे लेकर कवायद चल रही थी। प्रदेश में छात्रों को इसका फायदा 2025 में ही मिल जाएगा।
यूजीसी की नई गाईडलाइन के अनुसार शोधार्थियों को छह साल में पीएचडी पूरी करनी होगी। इसमें छह माह के कोर्स वर्क की अवधि भी शामिल है। अवश्यकता पड़ने पर या उचित कारण बताकर शोधार्थी विश्वविद्यालय के कुलपति से दो साल का अतिरिक्त समय भी ले सकते हैं। यानी जो शोधार्थी आठ साल में पीएचडी नहीं कर पायेंगे, वे अयोग्य हो माने जायेंगे। वहीं महिला शोधार्थियों के लिए चार माह का अतिरिक्त समय रहेगा। इसके साथ ही यूजीसी ने अपनी गाइडलाइन में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि गेट व जेआरएफ क्लीयर करने वाले छात्रों को प्रवेश परीक्षा में छूट दी जाएगी। इनके इन्टरव्यू भी अलग से आयोजित होंगे। संबंधित विश्वविद्यालय अलग से इन्टरव्यू ले सकेंगे।
यूजीसी की नई गाइडलाइन :
- 55 फीसदी अंक एक साल के पीजी में लाना अनिवार्य।
- 4 साल का अतिरिक्त समय महिला शोधार्थियों को मिलेगा।
- 2 साल का अतिरिक्त समय छात्रों को मिलेगा।
- 8 साल में कोर्स नहीं करने वाले अयोग्य माने जाएंगे।