स्मॉल बिजनेस आइडिया का मतलब यह कभी नहीं होता कि कोई ऐसा काम शुरू कर दिया जाए जिसमें जिंदगी भर स्मॉल इनकम, स्मॉल प्रॉफिट मार्जिन बना रहे। कुछ ऐसा करना चाहिए जिसमें आगे बढ़ने की संभावना हो। जितनी पूंजी बढ़ाते जाएं, उतना कारोबार बढ़ता चला जाए। कंपटीशन कम हो और डिमांड ज्यादा हो। आज अपन एक ऐसे ही बिजनेस आइडिया पर डिस्कस करने वाले हैं।
सबसे पहले पब्लिक की प्रॉब्लम जिसे सॉल्व करना है
आजकल आपको ऐसे बहुत सारे लोग मिल जाएंगे जो सादा दाल-चावल-रोटी-सब्जी खाते हैं, फिर भी अक्सर बीमार पड़ जाते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि गेहूं और चावल ऐसे अनाज हैं जो अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार का अनाज किसान, मजदूर, जवान, गस्त करने वाले पुलिसकर्मी, सिक्योरिटी गार्ड और इसी प्रकार का शारीरिक परिश्रम करने वालों के लिए उचित है परंतु ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारी और बिजनेस करने वाले दुकानदारों के लिए नुकसानदायक होते हैं।
गेहूं और चावल के कारण कुछ लोगों में बीमारियां बढ़ती हैं
डायबिटीज, हार्ट डिसीज, किडनी फैलियर, ब्लड प्रेशर यहां तक कि कैंसर का कारण गेहूं और चावल होते हैं। भोजन करने के आधे घंटे के भीतर शरीर में अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है और जब उसका सदुपयोग नहीं होता तो वह शरीर को नुकसान पहुंचाती है। शरीर में जो भी भाग कमजोर होता है उसे नष्ट करने लगती है और आप बीमार पड़ने लगते हैं। यानी उन सब लोगों के लिए जो शारीरिक परिश्रम नहीं करते, गेहूं और चावल नुकसानदायक अनाज है।
प्रॉब्लम का सॉल्यूशन और बिजनेस अपॉर्चुनिटी
इस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन ही अपनी बिजनेस अपॉर्चुनिटी है। प्राचीन काल में भी तपस्या करने वाले ऋषि-मुनि, गुरुकुल संचालित करने वाले आचार्य या दूसरे सभी प्रकार के बौद्धिक काम करने वाले लोग भोजन में गेहूं-चावल का उपयोग नहीं करते थे। उनके भोजन में हमेशा Positive grains होते थे। अपन को भी Positive grains का बिजनेस करना है।
Positive grains के फायदे क्या होते हैं
Positive grains का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि यह अनाज गेहूं और चावल की तरह आधे घंटे में अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न नहीं करता बल्कि लगभग 8 घंटे तक थोड़ी-थोड़ी ऊर्जा पैदा करता है। इससे लोग अपने ऑफिस में, दुकान पर, किसी कॉन्फ्रेंस में या मीटिंग में लंबे समय तक खुद को energetic फील करेंगे। ज्यादा काम कर पाएंगे और ब्लड प्रेशर से लेकर कैंसर तक ऊपर बताई गई बीमारियों का शिकार नहीं होंगे।
Positive grains का बिजनेस सभी लोग क्यों नहीं करते
ज्यादातर लोग बिजनेस में अच्छे प्रॉफिट मार्जिन के साथ यह जरूर चाहते हैं कि उन्हें कोई खास काम ना करना पड़े। गेहूं के उत्पादन से लेकर उसका आटा बनाने तक कई लोग काम करते हैं। कुछ सालों पहले तक physical labour करने वालों की संख्या भी बहुत अधिक थी इसलिए गेहूं और चावल की डिमांड भी अधिक थी। अब समय बदल रहा है और डिमांड भी बदल रही है। जो Positive grains का काम अभी शुरू करेगा वह भविष्य में करोड़पति सेठ बन सकता है।
Positive grains क्या होते हैं
पॉजिटिव ग्रेन्स के अंतर्गत छोटे अनाज आते हैं। इन्हें सिरिधान्य भी कहा जाता है, जैसे – बाजरा, ज्वार, रागी और प्रोसो। इनकी सबसे खास बात यह होती है कि जो व्यक्ति उनका नियमित रूप से सेवन करता है उसका शरीर बीमारियों को खत्म करने के लिए अपने आप तैयार हो जाता है। यह अनाज खून में शामिल होकर बीमारियों से खुद लड़ता है। खून को हमेशा साफ बनाए रखता है।
Positive grains का बिजनेस कैसे करें
आपके इलाके में जो भी मिलता हो उसके अच्छी क्वालिटी के दाने कलेक्ट करें। इनमें किसी भी प्रकार का यूरिया और केमिकल नहीं होता लेकिन क्योंकि डिमांड बढ़ने लगी है इसलिए कुछ लोग पॉलिश्ड दाने बाजार में बेचने लगे हैं। अनाज के पॉलिश्ड दानों को इग्नोर करना है। अब इनका आटा बनाकर 1-1 किलो के पैकेट में पैक कर लेना है। हर पैकेट पर उसके नाम के साथ उसकी खास बातें भी प्रिंट करना जरूरी है। पैकेट पर यह भी लिखें कि यह अनाज mental labor करने वालों के लिए है। खिलाड़ी, मजदूर और physical labour करने वालों के लिए नहीं है।
पॉसिबल हो तो एक रेसिपी बुक प्रिंट करवाएं और हर ग्राहक को कम से कम एक बार वह रेसिपी बुक जरूर दें। बाजरा, ज्वार, रागी और प्रोसो से रोटी, पराठा, खीर, इडली, डोसा सब कुछ बनाया जा सकता है। आप की रेसिपी बुक उनकी हेल्प करेगी और आपको फिर से आर्डर मिलेगा। जैसा कि स्मॉल स्केल बिजनेस का नेचर होता है। शुरुआत अपने शहर के किसी एक इलाके से करें। जैसे-जैसे रिस्पांस मिलता जाए वैसे वैसे काम बढ़ाते चले जाएं।
जब डिमांड बढ़ जाएगी तो अनाज की पिसाई के लिए अपनी चक्की और पैकिंग मशीन भी लगानी पड़ेगी। कृपया ध्यान रखिए कि इसका पैकिंग और प्रेजेंटेशन शानदार होना चाहिए। पैकेट को हाथ में लेते ही लोगों को यह फील होना चाहिए कि यह अनाज बुद्धिजीवियों (intellectuals) के लिए है।
Positive grains के बिजनेस में प्रॉफिट मार्जिन कितना होता है
यदि आप बाजार से दाना खरीद कर आटा बनाकर पैकेट में बंद करके बेचते हैं तो इसका ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन 90 से 100% होता है। यानी ₹450 का 5 किलो आटा तैयार होता है और ₹900 में बिकता है। नेट प्रॉफिट मार्जिन कितना निकलेगा यह आपके टैलेंट पर डिपेंड करता है।