जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर कमिश्नर को निर्देशित किया है कि वह 90 दिन के भीतर निलंबित कर्मचारी दिलीप चौकसे को 75% जीवन निर्वाह भत्ता दिए जाने के निवेदन का निराकरण करें। सस्पेंड कर्मचारी ने दावा किया है कि, विभागीय कार्यवाही में विलंब होने पर निलंबित कर्मचारी को 75% जीवन निर्वाह भत्ता दिए जाने का प्रावधान है।
श्री दिलीप चौकसे (निलंबित सहायक वर्ग-3) को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत उनके विरुद्ध प्रकरण दर्ज होने के कारण, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व करंजिया जिला, डिंडोरी द्वारा दिनाँक 27/11/19 को निलंबित कर दिया गया था। निलम्बन के पश्चात उन्हें वेतन का 50 प्रतिशत जीवन निर्वाह भत्ता दिया जा रहा था।
आपराधिक प्रकरण या विभागीय कार्यवाही में विलंब होने पर, विभाग 50 प्रतिशत जीवन निर्वाह भत्ते को बढ़ाकर 75 प्रतिशत, मूलभूत नियम के नियम 54, के अनुसार कर सकता है। दूसरे शब्दों मे जीवन निर्वाह भत्ते की राशि को, 75 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है। श्री चौकसे के विरुद्ध पंजीकृत केस के निराकरण में विलम्ब होने के कारण, कलेक्टर डिंडोरी को आवेदन देकर, 75 प्रतिशत जीवन निर्वाह भत्ते की मांग की गई थी परंतु, उक्त मांग को स्वीकार नही किया गया था।
उसके बाद, संभागीय कमीश्नर आयुक्त जबलपुर के समक्ष आवेदन दिया गया था। विचार नही किये जाने पर, श्री चौकसे द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर की शरण ली गई थी। श्री चौकसे की ओर से, वकील श्री अमित चतुर्वेदी ने बताया है कि उच्च न्यायालय की एकलपीठ द्वारा मामले का अंतिम निराकरण कर दिया गया है।
उनके द्वारा कोर्ट को बताया गया कि कर्मचारी के विरूद्ध आपराधिक केस में देरी, अभियोजन के कारण है। कम जीवन निर्वाह भत्ते के कारण, कर्मचारी को जीवन यापन में कठिनाई हो रही है। मूलभूत नियम के अनुसार उसे 75 प्रतिशत निर्वाह भत्ता मिलना चाहिए।
सुनवाई के बाद, उच्च न्यायालय जबलपुर की एकलपीठ ने आयुक्त राजस्व जबलपुर को श्री चौकसे के 75 प्रतिशत जीवन निर्वहन भत्ते के केस को 90 दिन के भीतर निराकरण के आदेश दिए गए हैं।