ठेका शब्द कहां से आया, इसका सही अर्थ क्या है- Amazing facts hindi language

Bhopal Samachar
ठेका, एक ऐसा शब्द है जिससे लगभग हर कोई परिचित है परंतु इस शब्द के बारे में कहा जा सकता है कि, जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। किसी को ठेका अर्थात देसी शराब की दुकान तो किसी के लिए ठेका अर्थात संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) ऐसे और भी बहुत सारे अर्थ है। आइए हम बताते हैं कि ठेका शब्द कहां से आया और इसका एक्जेक्टली हिंदी मीनिंग क्या है। 

ठेका शब्द कहां-कहां उपयोग किया जाता है

ठेका- देसी शराब की दुकान। 
ठेका- संविदा अथवा कॉन्ट्रैक्ट। 
ठेका- ठिया अर्थात ठहरने का स्थान। 
ठेका- भारतीय शास्त्रीय संगीत में लय का समर्थन करने वाली ताल। 
ठेका- कव्वाली में कव्वाल को सहारा देने हाथ से बनाई जाने वाली ताल। 

ठेका शब्द का सही हिंदी मीनिंग क्या है

ठेका शब्द का सिर्फ एक अर्थ है, सहारा या फिर समर्थन। अब इसे सरल हिंदी में समझिए। शराब की बिक्री में सरकार का सहारा अर्थात ठेका। किसी निर्माण कार्य में निर्माता को सहारा अर्थात ठेका। किसी इंसान के ठहरने का अस्थाई स्थान अर्थात ठेका या फिर ठिकाना। भारतीय शास्त्रीय संगीत में, तबला वादन में या फिर कव्वाली में सहारा देने वाली 'ताल' अर्थात ठेका। 

ठेका शब्द कहां से आया 

ठेका शब्द मूल रूप से भारतीय शास्त्रीय संगीत से आया है। सबसे पहले तबला वादन में ठेका शब्द का उपयोग किया गया। इसका मतलब था मुख्य संगीत का समर्थन करना या उसे सहारा देना। इसके बाद संगीत में अन्य स्थानों पर भी ठेका शब्द का उपयोग किया जाने लगा। ज्यादातर लोगों को लगता है कि ठेका यानी देसी शराब की दुकान होती है परंतु भोपालसमाचार के नियमित पाठक जानते हैं कि दुनिया बहुत बड़ी है और वह शराब की दुकान की छत से दिखाई नहीं देती। 

लोग ठेका का मतलब देसी शराब की दुकान क्यों मानते हैं 

गलती लोगों की नहीं सरकार की है। सरकार ने एक नियम बनाया कि हर दुकान के बोर्ड पर ठेका के बारे में उसकी वैधता सहित पूरी जानकारी स्पष्ट अक्षरों में लिखी होनी चाहिए। इसलिए बोर्ड पर लिखना पड़ा। और कोई अपनी शराब की दुकान का क्या नाम रखता है। अपने बच्चों के, पूर्वजों के, देवी देवताओं के नाम पर तो शराब की दुकान का नाम रख नहीं सकते थे। शराब की दुकान का संचालन करना समाज में गौरव की बात तो नहीं है। इसलिए ठेकेदार अपना नाम भी छुपा कर रखता है। बड़े अक्षरों में लिखता है ठेका देसी शराब और उसके नीचे लाइसेंस नंबर एवं वैधता लिखी होती है। 

वैसे इस प्रकार की दुकान का सही नाम होना चाहिए सरकारी देसी शराब की दुकान, परंतु सरकार को राजस्व भी चाहिए और बदनामी भी नहीं चाहिए इसलिए आबकारी विभाग वालों ने बड़ी चतुराई के साथ बोर्ड पर 'ठेका देसी शराब' लिखने की परंपरा डाल दी।

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