भोपाल। यदि आपके पास सीएम हाउस के नंबर से कोई कॉल आए। आपको धमकाया जाए। वेरिफिकेशन के लिए आप कॉल बैक करें तो पता चले कि नंबर सीएम हाउस का ही है, गलत नहीं है। तब क्या आप या कोई भी दूसरा व्यक्ति इस प्रकार के जाल से बच सकता है। इसे कॉल स्पूफिंग कहते हैं। यानी कोई व्यक्ति किसी अज्ञात स्थान पर बैठकर किसी सरकारी ऑफिस के नंबर का उपयोग करते हुए किसी भी व्यक्ति से बात कर सकता है। भोपाल में ऐसा ही एक मामला सामने आया है।
BHOPAL TODAY- डॉ. भूपेंद्र श्रीवास्तव को जाल में फंसाने के लिए क्या किया
LBS हॉस्पिटल के मालिक डॉ. भूपेंद्र श्रीवास्तव के पास इसी प्रकार के कई फोन कॉल आए। कभी सीएम हाउस से और कभी मुख्यमंत्री के कार्यालय से। कॉल बैक करने पर कंफर्म हुआ कि नंबर सही है। कॉल करने वाले ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके अस्पताल में ED की रेड डालने के आदेश दिए हैं। 1.11 करोड़ रुपए की डिमांड की गई। इसमें से एक करोड़ रूपए भारतीय जनता पार्टी के लिए और बाकी का पैसा उनका कमीशन बताया गया।
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उनकी साजिश सफल हो जाती यदि डॉक्टर श्रीवास्तव की पहुंच ऊपर तक ना होती। डॉ श्रीवास्तव ने तत्काल अपनी सारी शक्ति का उपयोग इस सूचना को कंफर्म करने में लगा दिया। थोड़े ही समय में पता चल गया कि मुख्यमंत्री कार्यालय और मुख्यमंत्री निवास से किसी भी व्यक्ति ने फोन नहीं किया है। फोन कौन कर रहा है यह पता लगाने के लिए गोपनीय तरीके से पुलिस को इन्वेस्टिगेशन सौंपी गई। पुलिस ने इस मामले में 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। पहले का नाम एलम सिंह परमार, उम्र 38 वर्ष निवासी सीहोर एवं दूसरे का नाम देवनारायण रघुवंशी उम्र 31 वर्ष निवासी सीहोर बताया गया है।
एलम और देवनारायण शातिर बदमाश नहीं थे इसलिए पकड़े गए
पुलिस ने बताया कि दोनों का कोई पुरानी हिस्ट्री शीट नहीं है। कॉल स्पूफिंग का क्राइम भी हाल ही में शुरू किया था। सबसे पहले इंदौर के एक ज्वैलर्स को धमकाकर पैसे वसूली की और उसके बाद LBS हॉस्पिटल के मालिक डॉ. भूपेंद्र श्रीवास्तव पर जाल डाल डाल दिया और पकड़े गए।
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पुलिस ने बताया कि एलम सिंह परमार, हाई क्वालीफाई और अपनी लाइफ में काफी सक्सेस प्राप्त कर चुका व्यक्ति है। इंग्लिश लिटरेचर से MA करने के बाद एक प्राइवेट स्कूल में टीचर का जॉब करने लगा और सन 2012 में 1200000 रुपए में कैंब्रिज कान्वेंट स्कूल खरीद कर उसका मालिक बन गया। सफलता के पहले पायदान पर पहुंचने के बाद ही हादसे का शिकार हो गया। उसने अपनी कमाई शेयर बाजार में लगाना शुरु कर दी और सब कुछ डूबता चला गया। कर्जा चुकाने के लिए अपराध का रास्ता चुना।
इस मामले का दूसरा आरोपी देवनारायण रघुवंशी एक उच्च शिक्षित और सभ्य व्यापारी है। विवेकानंद कॉलेज से बीएससी बायोटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद देवश्री ट्रेडिंग के नाम से हार्डवेयर की दुकान खोली थी। दुकान अच्छी चल रही थी और परिवार में खुशियां आ गई थी। तभी शेयर बाजार में कदम रख दिया। शेयर बाजार में ही दोनों की मुलाकात हुई। दोनों एक साथ बर्बाद हुए और फिर बाजार से 1 करोड़ रुपए का कर्जा लेकर जिंदगी और मौत के मुहाने पर पहुंच गए थे।