भोपाल। जनजातीय कार्य विभाग मध्यप्रदेश शासन के अंतर्गत संचालित सरकारी स्कूलों में शिक्षक के पद पर नियुक्ति प्राप्त करने के लिए MPTET क्वालिफाइड कैंडीडेट्स सीएम शिवराज सिंह चौहान से यही निवेदन करना चाहते हैं। अधिकारियों के जवाब से तनाव में आ गए हैं और सोशल मीडिया पर पता नहीं क्या-क्या लिख रहे हैं।
मामला क्या है 30 सेकंड में समझिए
मध्यप्रदेश में कई सरकारी और प्राइवेट यूनिवर्सिटी संचालित हैं। भोज यूनिवर्सिटी में 45% प्राप्तांक वालों को सेकंड डिवीजन कहा जाता है जबकि जीवाजी यूनिवर्सिटी में सेकंड डिवीजन के लिए 47% अनिवार्य है। कई विश्वविद्यालयों में इस तरह का अंतर है। शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के नियमों में लिखा है कि कैंडिडेट्स की पोस्ट ग्रेजुएशन में सेकंड डिवीजन होना चाहिए। नतीजा यह हो रहा है कि भोज यूनिवर्सिटी से 45% लाने वाला सरकारी शिक्षक और जीवाजी यूनिवर्सिटी से 47% प्राप्त करने वाला बेरोजगार बनाया जा रहा है।
CM Sir को इसमें क्या करना है
बात सबको समझ में आ रही है लेकिन क्योंकि दस्तावेजों में लिखा है कि सेकंड डिवीजन वालों को ही नियुक्ति देनी है इसलिए चाहते हुए भी प्राप्तांक के आधार पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। वैसे तो सारी यूनिवर्सिटी में सेकंड डिवीजन के लिए प्राप्तांक का प्रतिशत समान होना चाहिए लेकिन, फिलहाल इस समस्या का समाधान केवल इतना है कि नियुक्ति की एक शर्त बदल दी जाए। सेकंड डिवीजन के स्थान पर प्राप्तांक का प्रतिशत या फिर सेकंड डिवीजन अथवा न्यूनतम 45% प्राप्तांक कर दिया जाए।